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Peer Review रिसर्च का एक अभिन्न अंग है। जिस प्रकार से घड़ा को पकाने के लिए उसे आग में तपने की प्रक्रिया से गुजरना होता है उसी प्रकार उच्च गुणवत्ता वाले रिसर्च जर्नल से पेपर के प्रशासन में यह प्रक्रिया जरूरी है।
कभी-कभी आप सोचते होंगे कि क्या जितना भी रिसर्च पेपर जर्नल के पास भेजा जाता है वह छप जाता है? इसका उत्तर है नहीं। कुछ रिसर्च पेपर रिजेक्ट कर दिया जाता है। क्यों?
Peer Review के दौरान विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर ऐसा होता है।
एक शोध पत्र भेजने के बाद और छपने के पहले जर्नल के द्वारा जो प्रक्रिया अपनाई जाती है उसे Peer Review कहते हैं। इसे ‘गुणवत्ता का रक्षक’ और ‘‘सही शोध दिशा का मार्गदर्शक’’ भी कहा जाता है।
क्यों किया जाता है Peer Review
ऑथर पेपर के माध्यम से जिस बात को अपने ऑडियंस तक पहुंचाना चाहता है, उसकी गुणवत्ता जांचने, प्रासंगिकता की समीक्षा करने, डाटा की गुणवत्ता को जांचने, पेपर में डाटा कलेक्शन की प्रक्रिया को जानने एवं निष्कर्ष की समीक्षा करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाया जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन-कौन से लोग भाग लेते हैं?
Peer Review प्रक्रिया में क्या-क्या होता है? Peer Review Process
जर्नल के पास जब रिसर्च पेपर आते हैं तो सबसे पहले एडिटर की टीम यह तय करती है कि पेपर को लिखने में ‘‘ऑथर गाइडलाइन’’ एवं ‘‘पब्लिकेशन गाइडलाइन’’ का पालन किया गया है या नहीं।
रिसर्च पेपर, कांफ्रेंस पेपर, पुस्तक आदि सभी के प्रकाशन में यह प्रक्रिया जरुर किया जाता है।
दोनों का गाइडलाइन पालन होना चाहिए। जर्नल इसे अपनी वेबसाइट पर पहले से दिये रहते हैं। इसमें से किसी एक का भी पालन नहीं होने की स्थिति में उस रिसर्च पेपर को ऑथर के पास वापस भेज दिया जाता है और यह आग्रह किया जाता है कि गाइडलाइन का पालन करते हुए इसमें सुधार करें और पुनः भेजें।
पुन: आने पर इसके बाद पेपर विषय से संबंधित विद्वानों के पास इसकी समीक्षा के लिए भेज देता है। यह पहला चरण होता है।
विद्वान समीक्षा करके बताते हैं कि इस पेपर में या पुस्तक में किस-किस प्रकार की त्रुटियां हैं। सुधार करने के लिए वे अपना सुझाव देते हैं। पुन: ऑथर के पास भेज दिया जाता है।
रिव्यू सिर्फ रिसर्च पेपर का नहीं होता। एकेडमिक में सभी प्रकार के पेपर का छपने से पहले उसकी त्रुटि एवं गुणवत्ता की समीक्षा की जाती है। इसलिए हर प्रकार के डॉक्यूमेंट में किया जाता है।
पेपर, पुस्तक, कॉन्फ्रेंस पेपर, रिसर्च रिपोर्ट इत्यादि के प्रशासन से पहले यह प्रक्रिया जरूर पूरा किया जाता है।
कॉन्फ्रेंस में भी रिसर्च पेपर आमंत्रित किए जाते हैं। वहां पर भी प्रस्तुति के लिए जिन शोध पत्र का चयन होता है। इसका आधार भी यही होता है।
Peer Review करने वाले उस विषय के विशेषज्ञ होते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य होता है उच्च गुणवत्ता वाले शोध का प्रकाशन। इसके लिए वे अपने सलाह एवं सुझाव देते हैं।
प्रकाशन में एक्सपर्ट की भूमिका बहुत अहम होती है। इन्हीं के सुझाव पर ही रिसर्च जर्नल शोध पत्र से संबंधित कोई भी निर्णय लेते हैं।
जब एक रिसर्च पेपर का Peer Review होता है तो उसमें तीन संभावनाएं होती है।
पहला, रिसर्च पेपर स्वीकृत हो कर प्रकाशन।
दूसरा, पेपर में सुधार करने के लिए विषय के विशेषज्ञ ऑथर के पास पुन: भेज देते हैं।
तीसरा, उसे रिसर्च पेपर को छपने योग्य ना होने के कारण रिजेक्ट कर दिया जाएगा।
रिसर्च में इसका बहुत महत्वपूर्ण है। इससे प्रकाशित बातों की गुणवत्ता बनी रहती है। रिसर्च में पहले से प्रचलित सिद्धांत, तथ्य एवं नये सुधर पर विचार विमर्श होते रहता है। प्रकाशन की गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता बनी रहती है। इसके साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में नई-नई विचार आते रहते हैं एवं नई नई खोज होते रहता है।