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Synopsis का Introduction यानी ”शोध प्रारूप” का ”विषय प्रवेश” बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है।
Departmental Research Committee (DRC) रिसर्च टाइटल के बाद शोध प्रारूप के जिस भाग को विशेष रूप से पढ़ती है वह है: Introduction
इसीलिए इसका लेखन बहुत चतुराई और कुशलता पूर्वक करनी करनी चाहिए।
Synopsis का महत्व।। Importance of Synopsis
Synopsis आपके रिसर्च के लिए नींव का पत्थर होता है। यहीं पर रिसर्च टीम के स्कॉलर्स को बताते हैं कि रिसर्च में क्या करना चाहते हैं? आपकी शोध समस्याएं क्या है? वह कितना गंभीर है? और वर्तमान समय में कितना आवश्यक है उस पर रिसर्च करना? कमेटी के विद्वानों का ध्यान खींचने का यह सबसे पहला अवसर होता है। एक रिसर्चर के लिए अपने रिसर्च के बारे में बताने का और अच्छी प्रकार से समझाने का सबसे पहला मौका होता है। इसीलिए इसे बहुत सावधानी से और समय देकर लिखना चाहिए।
सिनॉप्सिस रिसर्च का ब्लूप्रिंट होता है। यह रिसर्चर के लिए पथ प्रदर्शक होता है। यह मार्गदर्शन की तरह कार्य करता है।
पहले से योजना बनाएं।। Do a Prior Planning
शोध कार्य में अचानक से कुछ भी नहीं होता है। बिना पूर्व प्लानिंग के कुछ भी करना महंगार पड़ सकता है। रिसर्च एक मेहनत भरा काम है। यह चिंतन से किया जाता है। इसे करने के लिए दिमाग शांत होना चाहिए। शरीर के बल पर नहीं हो सकता। इसके लिए आपको पहले से ही प्लानिंग बनाना पड़ता है। उस प्लानिंग पर कई बार सोच-विचार कर उसे फाइनल करना पड़ता है। रिसर्च का प्लानिंग करते समय रिसर्च कार्य के दौरान आने वाली समस्याओं को ध्यान भी रखा जाता है। सिनॉप्सिस में इन सभी का झलक होता है।
आपके विद्वता का परिचय।। Synopsis is your Expertise Introduction
विद्वानों की टीम आपके सिनॉप्सिस देखकर ही या समझ जाती है कि आप जिस विषय का रिसर्च के लिए चयन किये हैं, उसके बारे में कितना जानते हैं? कितनी गंभीरता से जानते हैं? कितने विश्वसनीय स्रोतों से उसका अध्ययन किया है? और आगे नया कुछ करने के लिए आपके पास तथ्य और तर्क कितने मजबूत हैं?
जैसे समुद्र में एक नाव का मार्गदर्शक उसका कंपास होता है उसी प्रकार से एक रिसर्चर के लिए मार्गदर्शक उसका सिनॉप्सिस होता है।
सिनॉप्सिस का विषय प्रवेष लिखना एक चुनौती भरा कार्य है। एक कठीन कार्य है। इसके साथ-साथ एक रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्य भी है। जिसमें तथ्य, तर्क और चिंतन शक्ति तीनों की जरूरत पड़ती है।
रिसर्च टॉपिक वर्तमान संदर्भ में उत्पन्न चुनौती को कैसे देखता है? उसकी गंभीरता को कैसे मापता है? और उसका सस्ता एवं उपयोगी हल किस प्रकार से निकालता है? यहीं सिनॉप्सिस के विषय प्रवेश लिखने का मुख्य थीम होता है।
विषय प्रवेश लिखने का प्रारंभ करते समय यह ध्यान रखें कि जिस विषय या जिस प्रश्न का हल ढूंढना है, उसे बहुत प्रभावी और आकर्षक तरीके से रखें। किसी उदाहरण के माध्यम से समझा कर लिखें। परंतु शब्द सीमा का भी ख्याल रखें।
प्रारंभ एक प्रश्न से करें।। Start by a Question
विषय प्रवेश लिखने का प्रारंभ एक प्रश्न पूछ कर करें। एक ऐसा प्रश्न जो आपके शोध को पूरी तरीके से व्यक्त करता हो। और वह प्रश्न डिपार्टमेंट के विद्वानों को, रिसर्च कमेटी के विद्वानों को तुरंत सोचने पर मजबूर कर दे कि इस रिसर्च का होना कितना आवश्यक है। आपका विषय प्रवेश पढ़कर ही कमेटी सिनॉप्सिस में उठाये गये समस्या के चिंतन में डूब जाए। समस्या की गंभीरता उनके दिमाग में बैठ जाए। आपको विषय प्रवेश लिखते समय इस प्रकार से रिसर्च के मुख्य विषय को और शोध प्रश्न को रखना है।
शोध प्रश्न की भूमिका जरुर लिखें। Introduct a Brief Background of Research Problem
विषय प्रवेश में शोध समस्या का ऐतिहासिक पहलू भी जरूर बताएं। इससे समस्या की गंभीरता समझने में मदद मिलता है। अगर हम समस्या के इतिहास को बिना बताए सीधा-सीधा समस्या को बताते हैं। तो उसका प्रभाव कम होता है। क्योंकि रिसर्च टीम को लगता है कि यह एक नई समस्या है। जब हम रिसर्च क्वेश्चन के इतिहास को भी थोडा बताते हैं। तभी रिसर्च टीम यह समझ पाती है कि यह समस्या कितने दिनों से है और इसकी गंभीरता दिन-प्रतिदिन कैसे बढ़ती जा रही है। यह कितने लोगों को, कितने दिनों से परेशान किये हुआ है।
इसके बाद आपको यह संक्षेप में बताना है कि यह रिसर्च कार्य करना कितना आवश्यक है। अपने विषय के कुछ विद्वानों के शोध कार्य का जिक्र करके आप यह दिखा सकते हैं कि अब तक के विद्वानों ने किस प्रकार से आपके द्वारा चुने गये पक्ष को नजर अंदाज किया।
इसके बाद आप इस रिसर्च से होने वाले लाभ को शोध उद्देश्य के रूप में गिना सकते हैं। शोध के उद्देश्य से रिसर्च टीम को रिसर्च के महत्व और गंभीरता का एहसास होगा।
अपने शोध को अलग दिखायें।। Show Your Research Unique
अंत में, यह जरूर बताएं कि आपका यह शोध कार्य इस विषय पर किए गए पिछले सभी कार्यों से किस प्रकार अलग है। किस प्रकार नया है। आपका शोध कैसे मौलिक है। आपको बताना पड़ेगा कि या तो डाटा कलेक्शन में आप नई मेथड का प्रयोग करेंगे, जिसका प्रयोग पिछले विद्वान नहीं किए हैं। या डाटा की समीक्षा की दृष्टि से भी आप अपने रिसर्च को नया बता सकते हैं। पिछले विद्वान जिस दृष्टि से डाटा की समीक्षा किए, आप उसे न अपनाकर एक नई दृष्टि से डाटा की समीक्षा करेंगे। या शोध प्रश्न ही नया है। शोध प्रश्न की दृष्टि से भी अपने रिसर्च को नया बता सकते हैं। इसके लिए आपको समझाना पड़ेगा कि किस प्रकार पिछले विद्वानों ने जिन समस्याओं का समाधान किया उससे आपका शोध प्रश्न अलग है।
विषय प्रवेश लिखने का कार्य कई चरणों में करें। सबसे पहले सिनॉप्सिस का विषय प्रवेश एक बार लिख लें। जरूरी नहीं है कि वह एकदम अच्छा ही हो। एक बार लिखने के बाद पुन: पढ़ें। उसमें सुधार करें। अगर कुछ नए विचार आए हैं तो उसमें जोड़ दें। पहले लिखे गए विचार में कुछ बदलाव करना है तो करें। इस प्रकार सिनॉप्सिस के इस भाग में तब तक सुधार करते रहें, जब तक आप संतुष्ट न हो जाए।
रिसर्च हमेशा परिवर्तन का नाम है। और यह परिवर्तन आपके हर प्रयास से आता है।
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