SOP क्या होता है और कैसे बनाया जाता है? एसओपी कैसे बनाई जाती है? How do you write a SOP for a research proposal?

Creativity word on paper on a wooden table

SOP का फुल फॉर्म होता है:- Statement of Purpose मललब ‘उद्देश्य का विवरणि‍का’।

भारत में उच्च शिक्षा में किसी प्रोजेक्ट में आवेदन करने के लिए आपको SOP लिखना पड़ता है। विदेश में भी छोटे से छोटे वर्कशॉप, सेमिनार, एडमिशन लेने के लिए या रिसर्च फंडिंग पाने के लिए जब research proposal मंगाये जाते हैं तो एजुकेशनल इंस्टीट्यूट SOP भी मांगते हैं।

इस ब्लॉग में जानेंगे कि SOP क्या होता है?  और एजुकेशनल एजेंसी क्यों इसको इतना महत्व देती है?

एक रिसर्च प्रोजेक्ट के दृष्टिकोण से या किसी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए जब कोई एकेडमिक इंस्टीट्यूट SOP मांगता है तो वह इंस्टिट्यूट मूल रूप से यह जानना चाहता है कि जिस कोर्स में आप नामांकन लेना चाहते हैं उससे आप कितना जुड़े हैं। उससे संबंधित आपके जीवन का जुडाव कितना है? आपके अब तक के हुई शिक्षा का कोर्स या रिसर्च टॉपिक से क्या संबंध है?

SOP में रिसर्चर इस बात को महत्व देता है कि उसके अब तक के एकेडमिक सफर में बहुत से ऐसे पहलू हैं जो इस कोर्स से जुड़े हुए हैं। अगर इस कोर्स में उसका नामांकन होता है तो उसके कौशल का विकास होगा। यहां पर जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी उसका अधिक से अधिक सदुपयोग होगा। और इसके परिणाम से शिक्षा जगत को भी लाभ होगा।

एसओपी कैसे बनाई जाती है?

उदाहरण के लिए, अगर कोई रिसर्चर बोधगया (जहां पर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्‍त हुआ था) के संबंधित रिसर्च करना चाहता है। तो वह अपने SOP में यह दिखा सकता है कि वह बोधगया की आसपास के क्षेत्र में रहा है। वहीं रहकर अध्ययन किया है। बौद्ध धर्म की मूल पालि साहित्य का अध्ययन किया है। बोधगया में होने वाले विभिन्न वार्षिक महोत्सव में लगातार भाग लेता रहा है। इसके साथ-साथ बोधगया के मठ एवं मंदिरों में जो कार्यक्रम होते हैं, उसमें भी वह भाग लेते आ रहा है।

इस प्रकार की सूचनाओं से वह विद्वानों को विश्‍वास दिलाता है कि उसका कितना गहरा संबंध है बोधगया से।  

इस प्रकार की सूचनाएं जो रिसर्चर को उसे स्थान से या उस सब्जेक्ट या कोर्स से जोड़ती हैं एक सिनॉप्सिस में बताया जाता है। 

How do you write a SOP for a research proposal?

SOP एकेडमिक इंस्टीट्यूशन के अधिकारियों के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण टूल होता है।  उसी के माध्यम से वह रिसर्चर की – विषय में नामांकन या रिसर्च प्रोजेक्ट की पात्रता –मापते हैं। इंस्टीट्यूशन के एक्सपर्ट आपके SOP से यह अंदाजा लगा लेते हैं कि अगर आपको मौका दिया जाए या रिसर्च फंडिंग दिया जाए तो उसका सदुपयोग करने में आपका व्यक्तिगत जीवन का अनुभव कितना काम करेगा।

SOP से न सिर्फ सही निर्णय लेने में मदद मिलता है बल्कि रिसर्चर को भी अपनी दावेदारी पेश करने का अच्छा मौका मिलता है।

जिस कोर्स के नामांकन के लिए SOP लिखना हो या प्रोजेक्ट के लिए SOP लिखना हो उस प्रोजेक्ट को अपने आप से जोड़ने के लिए हर छोटी बात को नोट डाउन करना चाहिए। अपने SOP में उसका जिक्र करना चाहिए। सामान्य रूप से एक SOP एक या दो पेज का होता है।  

SOP लिखते समय यह ध्यान दें कि अपने आप को उसे कोर्स या प्रोजेक्ट से जोड़ने वाले सभी बिंदु कम से कम शब्दों में समाहित हो जाए।

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