Scientific Journal क्‍या होता है? What is a scientific journal? What are the uses of scientific journal?

साइंटिफिक जर्नल और रिसर्च जर्नल दो ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग रिसर्च में पर्यायवाची के रूप में होता है। इसका मतलब यह हुआ कि साइंटिफिक जनरल को रिसर्च जर्नल भी कहा जाता है और इसके उल्टा भी सत्‍य है। रिसर्च जर्नल को साइंटिफिक जर्नल भी कहा जाता है। सामान्य रूप से रिसर्च में ये दोनों शब्द में कोई अंतर नहीं पाया जाता है।

लेकिन कुछ विद्वान इनमें अंतर भी मानते हैं। उनका मानना है कि इंजीनियरिंग, साइंस,  टेक्नोलॉजी और मेडिकल इत्‍यादि से संबंधित जो जर्नल छपते हैं या जो रिसर्च जर्नल छपते हैं, उनको साइंटिफिक जर्नल कहा जाता है। वहीं दूसरी तरफ, रिसर्च जर्नल कहने का तात्पर्य वैसे जनरल से है जिनका संबंध सामाजिक विज्ञान, मानविकी एवं भाषा से संबंधित रिसर्च से है।

Scientific Journal क्‍या होता है?

साइंटिफिक जर्नल का संबंध नेचुरल साइंस से माना जाता है। जिसमें फिजिक्स, केमेस्ट्री मैथमेटिक्स एवं बायोलॉजी जैसे विषय आते हैं।

एक सामान्य रिसर्चर के दृष्टि से आप दोनों को एक मान सकते हैं।

साइंटिफिक जर्नल कहने का तात्पर्य यह होता है कि यहां पर जो पेपर छपने के लिए आते हैं उनकी समीक्षा बहुत ही कड़ाई से की जाती है। यहां पर प्रस्तुत आंकड़ों की जांच बहुत सघनता से की जाती है। इन जर्नल का रिजेक्शन रेट अर्थात् रिसर्च पेपर को रिजेक्ट करने की संख्या अधिक होती है। कम से कम रिसर्च पेपर ही यहां छपते हैं। जिनकी गुणवत्ता बहुत अधिक होती है वैसे ही रिसर्च पेपर यहां छपते हैं।

इन बातों को जोर देने के लिए ही साइंटिफिक जर्नल जैसे शब्द का प्रयोग होता है।

साइंटिफिक जर्नल में ओरिजिनल रिसर्च ही छपते हैं। किसी क्षेत्र में अगर कोई नई खोज की गई है तभी उस पर लिखे पेपर को यहां स्थान मिलता है।

साइंटिफिक जर्नल सामान्य लोगों के लिए या सामान्य रिसर्चर के लिए नहीं होता है। वह विशेष रिसर्चों के लिए होता है।

What is a scientific journal?

यहां वैसे ही रिसर्च पेपर छपते हैं जो बिल्कुल नए और मौलिक । रिसर्च करके लिखे गए हों।

छपने संबंधी इतने कड़े नियम के कारण इन साइंटिफिक जर्नलों का इंपैक्ट फैक्टर बहुत अधिक होता है। जिस रिसर्चर का पेपर यहां छप जाता है, उसकी ख्याति पूरे विश्व भर में हो जाती है।

पूरे विश्व के रिसर्च कमेटी उस रिसर्चर की बातों को गंभीरता से लेता है।

यहां छपे रिसर्च पेपर अपनी विश्वसनीयता के लिए ही जाने जाते हैं। रिसर्च पेपर में निष्कर्ष के रूप में कही गई बातों का प्रयोग संबंधित क्षेत्र में आवश्यक परिवर्तन लाने के लिए, पॉलिसी चेंज करने के लिए किया जाता है। ये रिसर्च जर्नल अपने यहां प्रकाशित निष्कर्ष की वैधता के लिए ही जाने जाते हैं।

जो निष्कर्ष रिसर्च पेपर में छपता है उसकी छपने से पहले उसका कई बार, कई तरीकों से जांच किया जाता है।

एक रिसर्चर को चाहिए कि वह साइंटिफिक जर्नल से हमेशा जुड़ रहे। अपने रिसर्च से संबंधित छपने वाले हाई इंपैक्ट फैक्टर के साइंटिफिक जर्नल की एक सूची तैयार करते रहे।

इनके वेबसाइट पर जाकर छपे लेखों को निरंतर रूप से पढ़े। ऐसा करने से रिसर्चर अपने फील्ड में अप टू डेट रहता है। और रिसर्च का विकास किस दिशा में हो रहा है, किस प्रकार की नई रिसर्च प्रोजेक्ट चल रहे हैं? इसकी भी पूरी जानकारी रिसर्चर को मिलता रहता है।

साइंटिफिक रिसर्च जर्नल की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह रिसर्च पेपर में निष्‍कर्ष के बाद फ्यूचर रिसर्च (भविष्‍य में की जाने वाली खोजों के लिए सूझाव) नाम से एक शीर्षक छपता है। जिसमें आगे किस टॉपिक पर रिसर्च करने की आवश्यकता है। इसकी जानकारी दी जाती है। इससे रिसर्चर को रिसर्च गैप ढूंढने में बहुत मदद मिलता है।

आमतौर पर रिसर्च गैप ढूंढने के लिए विषय से संबंधित कई पुस्तकों को पढ़ना पड़ता है। महीनों का समय लगता है। कभी-कभी तो एक-दो साल भी लग जाते हैं।

अगर कोई रिसर्च नियमित रूप से साइंटिफिक रिसर्च जर्नल में छपने वाले पेपर को पढ़ते रहता है तो उसे अपने रुचि के मुताबिक रिसर्च गैप (यानी कहां रिसर्च की जरूरत है) ढूंढने में परेशानी नहीं होती है। उसे अपने रुचि के रिसर्च एक दो नहीं कई रिसर्च गैप मालूम होता जाता है।

यहां पर जो पेपर छपते हैं उसमें लिटरेचर रिव्यू की गुणवत्ता बहुत अधिक होती है। जिस टॉपिक पर रिसर्च पेपर यहां छपता हैं, उस टॉपिक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर्स का उल्लेख साहित्य समीक्षा में की जाती है। अतः इन साइंटिफिक जर्नल में छपने वाले पेपर से किसी टॉपिक के ऊपर लिखे गए गुणवत्तापूर्ण पुस्तक और रिसर्च पेपर की एक ऐसी सूची मिल जाती है। जिसे तैयार करने में रिसर्चर को बहुत अधिक समय और श्रम लगाना पड़ता है।

What does a scientific journal contain?

यहां टॉपिक से संबंधित नए-नए रिसर्च इत्यादि की जानकारी तो मिलता ही है। साथ ही साथ अपने टॉपिक से संबंधित विद्वानों का नाम, ईमेल आईडी, उनके कॉलेज का नाम इत्यादि जानकारी भी प्राप्त हो जाता है। इससे रिसर्चर को एक ऐसे टीम का हिस्सा बनने का मौका मिलता है। जो दिन रात रिसर्च के लिए समर्पित है। जहां एक दूसरे के रिसर्च में सहयोग किया जाता है।

ऐसे टीम के साथ जुडे रहने से रिसर्चर की गुणवत्ता, प्रकाशन की क्षमता, समस्याओं को सुलझाने की क्षमता एवं किसी समस्या को नई दृष्टिकोण से देखने की क्षमता का निरंतर विकास होते रहता है।

इसीलिए एक रिसर्चर को चाहिए कि वह अपने टॉपिक से संबंधित साइंटिफिक जर्नल की एक सूची बनाएं और नियमित रूप से वहां छपने वाले लेखों को पढ़े।

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