Research के सही तरीकों को ChapGPT दे रहा चुनौती। दो नियम बनाने की मांग

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आप किसी भी क्षेत्र में काम करते हो। एक कवि हों या कबाड़ चुनने वाला। सभी को एआई प्रभावित कर रहा है। उनके कार्य करने के तरीके को बदल रहा है। कार्य क्षमता को कई गुना बढ़ा रहा है।

एआई  के अनियंत्रित विकास से रिसर्च क्षेत्र के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं। ChapGPT अगर किसी क्षेत्र को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है तो वह रिसर्च है। जैसे-जैसे रिसर्चर इसका इस्तेमाल रिसर्च के हर स्टेज पर कर रहे हैं। यह रिसर्च की सही तरीकों के लिए चुनौती बनते जा रहा है।

उदाहरण के लिए लिटरेचर रिव्यू (साहित्‍य समीक्षा) जो रिसर्च का आधार है। इस पर जितना अधिक समय दिया जाए उतना तार्किक क्षमता का विकास होता है। यह कई विद्वानों के पुस्तक, रिसर्च पेपर पढ़ने से उनके विचार की समीक्षा करने से, नए तरीके से सोचने की तथा तथ्य को तर्क के साथ रखने की क्षमता का विकास होता है। जो रिसर्चर जितना समय लिटरेचर रिव्यू में देता है उसे उतना ही गंभीर विद्वान माना जाता है। क्योंकि वह अधिक से अधिक विद्वानों के मतों से परिचित हो चुका होता है।

ChapGPT लिटरेचर रिव्यू के वर्षों के काम को सेकंड में कर दे रहा है।

इससे रिसर्चर में उच्‍च स्‍तर के चिंतन क्षमता का विकास नहीं हो पा रहा है। ChapGPT न सिर्फ लिटरेचर रिव्यू में बल्कि पुस्‍तक या पेपर लिखने में भी मदद कर रहा है।

दिन प्रतिदिन आई की क्षमता बढ़ती जा रही है।

रिसर्च पेपर लिखना हो, रिसर्च पेपर का सारांश (abstract) लिखना हो, SOP (statement of purpose) लिखना हो। आर्टिकल लिखना हो, PPT के लिए कंटेंट तैयार करना हो, परीक्षा में प्रश्न का उत्तर देना हो।

अब सब काम ChapGPT कर रहा है।

शिक्षा जगत का कोई भी ऐसा कार्य नहीं जिसमें ChapGPT जैसे टूल्स का दखल ना हुआ हो।

आपको जैसा फोटो चाहिए उसको कुछ शब्दों में लिख देना है। ऐसे ऐसे टूल्स आ गए हैं जो तुरंत वैसे ही फोटो बना देंगे। आपके जरुरत के मुताबिक फोटो।

ChapGPT के द्वारा लिखे गए कंटेंट को विद्वान भी आसानी से नहीं पकड़ पा रहे हैं। शिक्षा जगत की लोग इसकी बढ़ती क्षमता और कुशलता के दुरुपयोग से चिंतित हैं।

क्योंकि यह नुकसान देने वाली चीजों को भी तैयार कर सकता है। क्योंकि यह व्यक्ति के Intent पर नहीं बल्कि उसके द्वारा दिए गए Promt पर काम करता है।

सबसे बड़ी चिंता की बात है कि कुछ रिसर्चर ChapGPT द्वारा लिखे कंटेंट को भी अपना बता रहे हैं। उदाहरण के लिए ChapGPT से तैयार लिटरेचर रिव्यू को अपने खुद का किया गया लिटरेचर रिव्यू बता रहे हैं।  

अब तो रिसर्च में ChapGPT को भी को को-ऑथर (सहायक ऑथर) बता कर रिसर्च पेपर छापा जा रहा है।  

इसलिए ChapGPT जैसे सभी टूल्स के सही-सही एवं नैतिक प्रयोग पर विद्वान चिंता व्यक्त कर रहे हैं। इनके सही उपयोग के लिए नियम बनाने की मांग कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी पब्लिशिंग कंपनियां कुछ नियम बना रही हैं। जिसका पालन अब रिसर्च पेपर या पुस्तक के प्रशासन के दौरान हो रहा है।

दो नियम

अगर कोई रिसर्च पेपर जो पूर्णत:ChapGPT या इसके जैसे अन्य टूल्स की मदद से लिखा गया है। तो ChapGPT जैसे सभी टूल्स को एक ऑथर के बराबर मानता नहीं देना।

दूसरा नियम, अगर कोई रिसर्चर ChapGPT या इसके जैसे टूल्स का प्रयोग अपने रिसर्च पेपर या पुस्तक लिखने में करता है तो इसका उल्लेख उसे रिसर्च मेथाडोलॉजी वाले क्षेत्र में करना होगा। अगर उसके पेपर में रिसर्च मेथाडोलॉजी क्षेत्र नहीं है। तो विषय परिचय (इंट्रोडक्शन) में ही इस बात का उल्लेख करना होगा। नहीं तो रिसर्च पेपर के जिस भाग को ChapGPT के माध्यम से लिखा है, वहीं पर ChapGPT का उल्लेख करना होगा।

Note: This blog is written based on Nature journal article.

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