Key Concepts

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ऑथर किसे कहते हैं? What do You mean by Author?

Research Methodology की संसार में ऑथर (Author) शब्‍द का प्रयोग हमेशा और सभी क्षेत्रों में नित्‍य होता है। इस concept के महत्व का सहज अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बिना इस concept को जाने research संसार में गुजारा नहीं होने वाला है।

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Importance of Author ऑथर का महत्व, Who are the authors of research? What is a co-author research? What is authorship in research?

ऑथर एक व्यक्ति को भी कह सकते हैं या एक से अधिक व्यक्तियों के समूह को भी ऑथर कहा जाता है। किसी संस्था को भी ऑथर कहा जाता है। विद्यालय या विश्वविद्याल या राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार की

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विषय प्रवेश क्‍या है? What is Introduction?

विषय प्रवेश पाठकों के लिए एक मार्गदर्शिका की भूमिका अदा करता है। इसको पढ़कर पाठक यह निर्णय लेता है कि इस पुस्‍तक या थीसिस को पुरा का पुरा पढ़ना चाहिए या नहीं। उसके काम का है या नहीं। विषय उसके रुची का है या नहीं।

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जाने writing consultant के बारे में।। Know writing consultant

विचार तार्किकता के साथ लेख में प्रस्‍तुत हुए हैं या नहीं ये इस बात का भी विचार करते हैं। ऐसे शब्‍दों का प्रयोग हो जिससे वांछित पाठक (target audience) आसानी से समझ ले। यह एक बडी चुनौति है। writing consultant की भूमिका ……………..
अगर आप किसी को मदद करके खुशी का अनुभव करते हैं और आपके पास है लेखन कौशल क्षमता है तो शोध छात्रों की मदद करने वाली writing consultant की दुनिया में आपका स्‍वागत है।

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साहित्यिक चोरी: परिभाषा, प्रकार, बुरे परिणाम और बचने के उपाय।। Plagiarism: Definition, types, consequences and method to avoid

इससे बौद्धिक क्षेत्र में मूल शोध के प्रयास करने वालों में निराशा का भाव जागृत होता है। उनका उत्‍साह धीमा पड़ने का खतरा रहता है। नई विचार उत्पत्ति के लिए किये जा रहे प्रयास  या नई खोज करने वाले की परिश्रम करने की हिम्‍मत टूटता है। मौलिक शोध करने वालों की संख्‍या कम होने लगती है। शोध में स्‍वस्‍थ्‍य प्रतिस्‍पर्धा का माहौल बिगड़ता है।…………अब बिना Plagiarism  जांच किये कोई भी थीसिस (thesis) जमा नहीं होता है।

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ऑथर किसे कहते हैं? What do You mean by Author?

समर्पण भाव वह कुछ दिन या कुछ महिनों के लिए ही नहीं रखता है बल्कि वह हमेशा ही समर्मित रहकर ही कार्य करता रहता है। प्रारंभिक दिनों में, संघर्ष के दिनों में वह अपना रोजी-रोटी पर आफत सहकर भी  इस कार्य को उसी मनोयोग से करता है। अपने परिवार या पुत्र या पत्नि तक के स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जरुरतों को दूसरे स्‍थान पर रखता है।