Research Methodology की संसार में ऑथर (Author) शब्द का प्रयोग हमेशा और सभी क्षेत्रों में नित्य होता है। इस concept के महत्व का सहज अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बिना इस concept को जाने research संसार में गुजारा नहीं होने वाला है। अगर आप एक researcher हैं तो आपको यह शब्द प्रतिदिन कई बार सुनाई देगा। आप research paper की बात करें, book की बात करें, picture यानि photo की बात करें, picture यानि movie की बात करें, copyright की बात करें, patent की बात करें सभी जगह यह concept का प्रयोग किया जाता है। और तो और, किसी भी department की बात करें, पुरे academia के किसी भी field की बात करें, आपको यह concept हर जगह दिखाई देगा और सुनाई देगा।
सामान्यत: जो अपना विवेक और चिंतनक्षमता से लिखता है उसे लेखक कहते हैं। भारतीय साहित्य जगत में कई विधाएं हैं। हर विधा के लेखक के लिए अलग-अलग नाम दिया जाता है। कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, गीतकार, नाटककार, पत्रकार, समीक्षक, आलोचक, विवेचक, आदि कुछ उदाहरण परंपरागत साहित्य नामकरण पद्धति के हैं।
वर्तमान युग digital युग है। A. I युग है। इस युग के साहित्यकारों का नामकरण कुछ इस प्रकार किया जाता है:- blogger (ब्लॉगर), vlogger (भलॉगर), youtuber (यूट्यूबर), content writer (कंटेंट राईटर) आदि आदि।
इतने सारे नामों को ध्यान में रखना और प्रयोग करना बहुत पेचिदा कार्य है। अंत: research methodology में इन सभी को एक ही नाम दे दिया गया है। सभी को author कहा जाता है। academia के सभी क्षेत्र (discpline) में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले को, खोज करने वालों को, नई नई वस्तुओं का design बनाने वाले को research की दुनिया में author ही कहा जाता है।
कल्पना का जादुगर।। Architects of imagination
किसी पुस्तक, research paper, journal या website से कोई जानकारी को प्राप्त कर उसे अपने पाठकों तक भर पहुचा देने भर कोई author नहीं हो जाता। author का सिर्फ इनता ही कार्य नहीं होता है। वह इन जानकारी के आधार पर नई चीजें सोचता है। गहन विचार करता है। इन जानकारियों की कमी को जानने की कोशिश करता है। इनकी limitation का पता लगाता है। फिर किस दृष्टिकोण से इन जानकारियों को और प्रासांगिक किया जाए और सर्वउपयोगी किया जाए इस पर विचार करता है । और कुछ नयी बातें academia को बताता है। वह, अगर साहित्य क्षेत्र का है तो, कल्पना करता है। जगी आंखों से सपना देखता है। सपनों में इन कल्पना के कडियों को जोडता है। कल्पना करना और कल्पना के आधार पर नयी रचना करना ही एक साहित्यिक author का मूल काम है। नये-नये किरदार को गढ़ता है। उनके जीवन से संबंधित ताना-बाना बुनता है। इतना दिमाग लगाने और बार बार विचार करने के सभी प्रकार से संतुष्ट हो जाने पर एक कहानी के रूप में अपने पाठकों के पास लाता है। इस प्रकार की कल्पना करने की जरुरत हर academia के हर क्षेत्र में होती है। हर author में नयी चीजों के लिए कल्पना क्षमता और सृजन क्षमता होना ही चाहिए। ये उसके अंग हैं। एक author होने के आवश्यक गुण हैं। इस प्रकार से हर ऑथर एक philosopher (दार्शनिक) भी होता है। इसीलिए तो ऑथर को Architects of imagination (कल्पना का जादुगर) कहा जाता है।
ऑथर बहुत मेहनती होता है।। Author Hard Works
लेखन की अपनी नई रचना के लिए कई स्तर से गुजरता है। हर स्तर पर उसे संघर्ष करना पडता है। घंटों-घंटो उसे सोचना पडता है। दिमाग खपाना पडता है। मत्था-पच्ची करनी पडती है। कभी-कभी तो एक ही स्तर पर उसे कई दिनों तक मसक्कत करनी पडती है। जो कुछ भी लिखता है या रचना तैयार करता है उसमें वह बार-बार सुधार करता है। उसकी गुणवत्ता को बढ़ाता है। Author के इनता मेहनत से उसके discipline का तो विकास होता है। इनता कठीन परिश्रम से वह उपनी field या department का विकास तो चाहता ही है । परंतु, इन सभी का अंतीम लक्ष्य होता है आत्म संतुष्टि की प्राप्ती। सम्मान पाना और समाज में एक सम्मानित जीवन जीना। यह सारा परिश्रम वह अपनी follower का प्यार पाने के लिए करता है।
कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव।। Complete Dedication towards work
एक author में अपने कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखता है। वह इस कार्य को सभी कार्यों से सर्वोपरि रखता है। कभी-कभी तो वह अपने व्यक्तिगत कार्य या पारिवारिक कार्यों को भी इस कार्य के लिए छोड देता है। ऐसा समर्पण भाव वह कुछ दिन या कुछ महिनों के लिए ही नहीं रखता है बल्कि वह हमेशा ही समर्मित रहकर ही कार्य करता रहता है। प्रारंभिक दिनों में, संघर्ष के दिनों में वह अपना रोजी-रोटी पर आफत सहकर भी इस कार्य को उसी मनोयोग से करता है। अपने परिवार या पुत्र या पत्नि तक के स्वास्थ्य संबंधी जरुरतों को दूसरे स्थान पर रखता है।
ऐसा करना उसका शौक नहीं अपितु इस कार्य की मांग होती है। यह कार्य सभी के बस की बात की है भी नहीं। इसमें न सिर्फ अपना ज्ञान बढ़ाते रहना पड़ता है उसके साथ-साथ खुद नयी-नयी बातें सोचकर उस फिल्ड में ज्ञान राशी को बढ़ना तड़ता है। यह एक ऐसा कार्य है जिसमें रोजगार की दृष्टि से निश्चितता बहुत कम होता है। जीवन-यापन की चिंता हमेशा सताते रहता है।
कल्पना शक्ति ।। Imagination Power
Author की कल्पना शक्ति इतनी ज्यादा होती है कि वह न सिफ एक पात्र की कल्पना करता है या उसके जीवन की कल्पना करता है या फिर उसके समाज या उसके सम्पूर्ण जीवन की कल्पना करता है बल्कि वह कल्पना शक्ति से पुरा का पुरा संसार की रचना कर डालता है। जो कि से संसार से बिलकुल ही अलग होता है। इस उन्नत कल्पना कर पाने का कारण यह है कि उसे मानव के प्रकृति का बहुत ही गंभीर समझ होती है। इसी समझ, अनुभव और भाषा के ज्ञान का प्रयोग कर वह एक ऐसा कहानी लिखता है जो पाठकों को अंत तक पन्नें पलटते रहने के कार्य पर लगा देता है।
साहित्य के अलावे अन्य discipline के ऑथर भी जब किसी विषय पर सोच रहे होते हैं या कल्पना से उस नयी सोच का विकास कर रहे होते हैं तो उस कल्पना में भी वास्विक स्थितियों पर ही विचार कर रहे होते हैं जो की उस नयी चीज के आने के बाद उत्पन होने वाली होती है। उस नयी चीज की समाज या संसार पर सही प्रभाव क्या-क्या पड सकता है इसके साथ साथ गलत प्रभाव क्या क्या पड सकता है इस तरह के तमाम बिन्दुओं पर विचार कर ही उस नयी वस्तु या विचार को प्रकाशित करते हैं।
ऑथर: स्वामीत्व जिसके पास।। Author means Ownership
जब हमलोग ऑनलाइन टूल्स का उपयोग कर एक चित्र या लोगो, पोस्टर, रिल या सॉट्स बनाते हैं तो उसके टूल के ऑथर हमारे पास अनेक प्रकार के रंग चयन का विकल्प देता है। अनेक प्रकार कि सामग्री चयन का विकल्प देता है। अनेक प्रकार के मानव संवेदनाओं को प्रकट करने का विकल्प देता है। इसप्रकार एक ऑथर अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों, उपयोग कर्ताओं को मानव जीवन की गहराई में ले जाता है। जीवन की समझ को बढाने में मदद करता है। व्यापक रूम से सोचने का माहौल बना देता है। जिससे कि हमसभी जीवन की जटिलताओं को समझ सकें और उसे अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रकट कर सकें। स्वामीत्व जिसके पास होता है वहीं ऑथर कहलाता है।
कई प्रकार के दुनिया ।। Lives in several worlds
एक Author कई प्रकार के दुनिया में जिता है। कई जिंदगी जीता है। एक वर्ष में या एक महीने में या एक दिन में या एक घंटे में author कई प्रकार के जींदगी को अनुभव करता है और उस अनुभव से कभी वह दुखी होता है और कभी खुश हो जाता है तो कभी वह उदासीन रहता है। यह सब होता कैसे है? उसकी रचनाएं या उसकी कल्पना ही उसे इतनी प्रकार के जीवन और उसके अनुभव करने का मौका देते हैं। जब उसकी कहानियां कभी प्यार की बारिश करा देती हैं तो कभी दिल टुटने का पीडा देती है। वह कभी विजय का जश्न मनाने लगता है तो वह कभी किसी आपदा-विपदा में अपना घर, परिवार और सबकुछ बर्बाद हो जाने के दु:ख से दुखी हो जाता है। कभी वह नैतिकता के पतवार से अपना जीवन रूपी नाव को खेने का जोखिम उठाता है तो कभी वह आपदा-विपदा में नैतिकता को याद कर दूसरों की मदद करने को बेचैनी का अनुभव करता है। कभी-कभी तो वह इन जीवन की रंगों में इस प्रकार से उलझ जाता है कि बाहर कैसे निकले समझ ही नहीं आता।
ऑथर का औजार।। Tools of Author
Author चाहे किसी भी field का हो उसे उपमा, अलंकार, रस और सामाज का अनुभव ही उसके लिए कार्य का सामान या औजार हैं। एक Artificial Intelligence पर कार्य करने वाला भी साहित्य के नौ रस (श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, बीभत्स, भयानक आदि) का सम्पूर्ण जानकारी रखे बिना एक ऐसा A.I tool/prompt कैसे बना सकता है जो लोगों के द्वारा Facebook (फेसबुक), Twitter (ट्वीटर ) पर लिखी हुई बातों को पढ़ लेता है कि आपका post hate speetch है। लोगों की भावनाओं को आहत कर रहा है।
संस्कृत साहित्य में एक श्लोक है
उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम्।
दण्डिन: पदलालित्यं माघे सन्ति त्रयोगुणाः।
जो कहता है कि कालिदास उपमा का, भारवि गंभीर अर्थ देने वाले शब्दों का, दण्डि सुनने में अच्छे लगने वाले शब्दों का प्रयोग करने में अग्रणी थे। और माघ कवि तो इन तीनों प्रकार के प्रयोग में माहीर थे।