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नाम के आगे Dr लिखने का सपना बहुत लोग देखते हैं। पीएचडी करने के लिए यूजीसी ने सामान्य रूप से कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष निर्धारित किया है। इस दौरान रिसर्च पेपर, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, कॉन्फ्रेंस, लिखित परीक्षा एवं मौखिक परीक्षा में दिन रात एक करने के बाद के बाद ही पीएचडी अवार्ड होता है। इस खुशी में यूनिवर्सिटी में कन्वोकेशन का कार्यक्रम भी किया जाता है। जिसमें पीएचडी एवं अन्य डिग्रियों का प्रमाण पत्र बांटा जाता है। विद्यार्थी बहुत गर्व से डिग्रियों को लेते हैं। सोसल मीडिया पर शेयर करते हैं। पीएचडी अवार्ड होते ही आप Dr. टाइटल लगाने के अधिकारी हो जाते हैं। पीएचडी के बाद अपने नाम के पहले डॉक्टर टाइटल लगाने के लिए उन्हें अनुमति मांगना पड़ा। यह भी शिक्षा व्यवस्था में अजीब बात है। डिपार्टमेंट ने Dr. लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। यह उससे भी अजीब बात है।
Nursing विभाग की है घटना
राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत तीन नर्स पीएचडी पूरा होने के बाद अपने नाम के पहले Dr टाइटल लगाने के लिए विभाग में एक आवेदन दिया। पीएचडी के बाद भी Dr. टाइटल लगाने का अनुमति न मिलने का निर्णय मनोबल तोड़ने वाला है। नर्सिंग शोध कार्य में अपना करियर बनाने वालों के लिए बुरी खबर है।
क्या है यह घटना
हाल ही में राजस्थान के तीन नर्स ने पीएचडी प्रोग्राम के अंतर्गत अपना पीएचडी पुरा किया। अपने नाम के आगे डॉक्टर टाइटल लगाना चाहती हैं। इसके लिए उन्हें विभाग से अनुमति लेने की जरूरत थी। आवेदन देने पर विभाग ने Dr. टाइटल के इस्तेमालन करने करने से मना कर दिया।
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन नराज
इस बात को लेकर राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह शेखावत नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कदम रिसर्च करने वालीं नर्सों के मनोबल को कमजोर करने वाला है। उनका कहना था कि नर्स का मुख्य लक्ष्य होता है मरीज का अच्छा से अच्छा इलाज करना, देखभाल करना उनका जीवन बचाना। इसके लिए नर्स रिसर्च में जाना चाहती हैं। रिसर्च फील्ड में रुचि रखने वाले सभी नर्सों के लिए यह फैसला एक धक्का है। उन्हें हतोत्साहित करने वाला फैसला है।
आगे क्या हो सकता है
इसके लिए नर्सिंग एसोशियन के अध्यक्ष ने विभाग के उच्च अधिकारियों के पास जाने का फैसला किया है। उच्च अधिकारियों के साथ यह मुद्दा उठाने का निर्णय कर लिया है।
नियमों में सुधार की जरुरत
पीएचडी करने के बाद नाम के पहले Dr. टाइटल लगाने के लिए कुछ नियमों में सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। सरकार को एक अध्यादेश लाना होगा।
क्यों है Dr. टाइटल लगाने की आवश्यकता
संगठन के अध्यक्ष Dr. टाइटल की अनुमति दिए जाने की वकालत करते हुए कहते हैं कि अनुमति से कई नर्स को पीएचडी करने की प्रेरणा मिलेगी। अधिक से अधिक नर्स रिसर्च में आएंगी। इससे मरीज और स्वास्थ्य विभाग को ही लाभ होगा।
9 फरवरी 2024 नर्सिंग डिपार्टमेंट के लिए अजीब दिन
भारतीय मीडिया ने 12 फरवरी को एक अजीबो गरीब खबर प्रकाशित की। यह घटना जीवन रक्षक कहे जाने वाले नर्सिंग डिपार्टमेंट की है। राजस्थान में तीन नर्स ने नर्सिंग में पीएचडी प्रोग्राम के अंतर्गत अपना पीएचडी पूरा किया। यह खबर राजस्थान सरकार की मेडिकल एंड हेल्थ डिपार्मेंट के द्वारा जारी किया गये एक लेटर से संबंधित है। Dr. Title लगाने के आवेदन पर स्वास्थ्य विभाग ने 9 फरवरी को एक डिपार्टमेंटल लेटर जारी कर Dr टाइटल प्रयोग करने से मना कर दिया।
पढ़ने वालों का सपना होता है पीएचडी
जो लोग पढ़ाई में गहरी रुचि रखते हैं, नई-नई खोज करने के शौक रखते हैं, नई ज्ञान प्राप्त करने के लिए जिज्ञासु रहते हैं, उनके लिए पीएचडी करना एक सपना होता है।
नेट/जेआरएफ परीक्षा पास करने के बाद होता है पीएचडी में नामांकन
भारत में अब बिना नेट/जेआरएफ परीक्षा पास किया पीएचडी में नामांकन नहीं हो सकता है। हां, विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर रेट की परीक्षा कराती हैं। आपको पीएचडी में नामांकन करने के लिए या तो नेट पास करना है या तो रेट।
क्या है कारण Dr. टाइटल की अनुमति नहीं के पीछे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नर्स के नाम के पहले डॉक्टर टाइटल लगाने से लोग मेडिकल डॉक्टर और पीएचडी नर्स में अंतर नहीं पाएंगे। इससे आम लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा हो सकती है। इसी समस्या से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है।
मेडिकल एवं हेल्थ डिपार्टमेंट ने किया माना
राजस्थान के मेडिकल एंड हेल्थ डिपार्टमेंट के डायरेक्टर (नान-गजेटेड) सुरेश नवल ने 9 फरवरी को एक लेटर जारी कर तीन नर्सों को नाम के पहले Dr. नहीं इस्तेमाल करने का आदेश दिया।
लेटर में नहीं बताया गया है कारण
मीडिया खबरों में बताया गया है कि विभाग ने जो पत्र जारी किया है, उसमें डॉक्टर टाइटल के इस्तेमाल से मनाही के पीछे कोई कारण नहीं दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि डॉक्टर टाइटल की अनुमति देने से आम लोगों को मेडिकल डॉक्टर एवं पीएचडी होल्डर नर्स में अंतर करना मुश्किल होगा। आम लोगों में एक्चुअल डॉक्टर एवं पीएचडी होल्डर नर्स के बीच अंतर करने में बहुत परेशानी हो जाएगा। इससे लोगों में कंफ्यूजन उत्पन्न होगा। इस कंफ्यूजन से ही लोगों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ऐसा निर्णय लिया है।
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन है नाराज
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के अध्यक्ष नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि यह निर्णय वैसे नर्स के लिए रास्ते का कांटा साबित होगा जो मेडिकल में रिसर्च करना चाहती हैं। मेडिकल में रिसर्च का अंतिम लाभ मरीजों को और आम जनता को मिलता है। अतः इस निर्णय से परोक्ष रूप से आम जनता को भी नुकसान हो सकता है।
Dr. टाइटल लगाने के पीछे एशोशियन का क्या है तर्क
संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि पीएचडी करने वालों को डॉक्टर टाइटल लगाने की अनुमति मिलनी चाहिए। ऐसा करने से वैसे नर्स जो रिसर्च में जाना चाहती हैं, हायर एजुकेशन प्राप्त करना चाहती हैं, उनका उत्साह बढ़ेगा और इससे अंतिम लाभ मरीज को बेहतर सेवा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में मिलेगा। आम जनता को ही इसका लाभ होगा। स्वास्थ्य जगत को भी इससे लाभ होगा।
ध्यान दें: – यह लेख 12 फरवरी 2024 को हुए मीडिया कवरेज के आधार पर लिखा गया है। इसमें द टाइम्स आफ इंडिया, द डेक्कन हेराल्ड, एनडीटीवी और रिपब्लिक टीवी द्वारा प्रकाशित लेखों के मदद से तैयार किया गया है।