आप अनुसंधान चुनौतियों को कैसे दूर करते हैं? How do you overcome research challenges? 10 Method to overcome research challenge

Photo by Olav Ahrens Røtne on Unsplash

समस्याओं से जूझना, समस्याओं का पता लगाना और समस्याओं का समाधान करना यही एक researcher का काम होता है। रिसर्च में यही काम होता है। समस्या की पहचान करना उसके कारण को ढूंढना और उसका समाधान करना एक researcher का यह प्रतिदिन की कहानी है। एक रिसर्चर के जिंदगी का हिस्सा है।  समस्याएं,  चुनौतियां रिसर्च क्षेत्र का एक अंग हैं। समस्याएं और चुनौतियां शोध का एक एक अंग हैं। समस्याएं और चुनौतियां नहीं तो शोध नहीं। लेकिन इन चुनौतियों से वही पार पा सकता है, इन पर काबू कर सकता है, इनके तह में जा सकता है, इन्हें पता लगा सकता है, इनका हल ढूंढ सकता है, जिसके पास सही रणनीति हो। जो कभी समस्याओं से हार नहीं मानता हो। उनसे जूझते रहता हो, टकराते रहता हो। जिसके पास Problem Solving Skills है। वही इन समस्याओं से पार पा सकता है। इन्‍हें हरा सकता है। इनका समाधान दे सकता है।

आप भी एक रिसर्चर हैं और समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह ब्लॉक सिर्फ और सिर्फ आपके लिए है। इस ब्लॉग में, मैं ऐसे 11 तरीका टिप्‍स बताऊंगा जिससे कि आप रिसर्च केअनावश्‍यक समस्‍यासे बाहर आ सकें। ऐसे समस्‍या में फसें ही नहीं।

लचीलापन और अपनाने का गुण Flexibility and Adaptation

शोध यानी र‍िसर्च एक ऐसी दुनिया का नाम है जहां पर हमेशा वैसा नहीं होता जैसा हम योजना बनाते हैं। जैसा किसा उम्‍मीद करके चलते हैं। हमारे प्लानिंग के अनुसार बहुत कम ही चीज घटित होती है। इसीलिए हमें अपने आप को situation के अनुसार adopt करने की आदत भी devlop करना चाहिए। रिसर्च field में जो समस्याएं उत्पन्न हो रही है उसे आवश्‍यकता एवं उपलब्‍ध संसाधन और सहयोग के अनुसार हल करने के  लिए हमें Flexible होना चाहिए। कभी समस्‍या को समझने में, कभी डाटा खोजने में, कभी लिखने में, कभी डाटा का समीक्षा करने में हमारी पूर्व नियोजित योजना से हटकर समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन परिस्थितियों में हमें फ्लैक्सिबल होना चाहिए। और सिचुएशन के according method को चुनने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

सट‍िक योजना Through Planning

रिसर्च चाहे theoritical , पुस्‍तक के आधार पर करना हो या फील्ड वर्क हो या लैबोरेट्री वर्क हो। इसके लिए हमें पहले से ही प्लानिंग करनी चाहिए। किस-किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इस पर भी हमें पहले से सोचे रहना चाहिए। भविष्य में उत्पन्न होने वाले समस्याओं के समाधान का उपाय भी सोच कर रहना चाहिए। इसके लिए रिसर्चर को पहले से योजना बनानी चाहिए। प्‍लानिंग करनी चाहिए।  इनके बारे में जानकारी लेने पर समय देना चाहिए। किस-किस तरह की समस्या उत्पन्न होती हैं, हो सकती हैं इसकी पूर्ण जानकारी लेनी चाहिए। और उन समस्याओं का कैसे निदान किया जाए। इसकी भी योजना बनाना चाहिए। समस्याओं को जानकर उसके एक से अधिक हल रखना चाहिए। तभी हम रिसर्च में सफल हो सकते हैं।

प्रभावशाली समय प्रबंधन Effective Time Management

समय का पालन करना रिसर्च में बहुत आवश्यक होता है। फिलोशीप से भी हमें एक निश्चित समय के लिए मिलता है। पीएचडी का रसिर्च हो या पीएफ का रिसर्च हो या आप कोई अन्य रिसर्च प्रोजेक्ट पर हम कार्य कर रहे हों। फंडिंग एजेंसी भी एक नियत समय के लिए ही हमें पैसा देती है। जैसे कि UGC NET/JRF पास का परीक्षा पास करने पर पांच साल के लिए ही फिलोशीप देती है। उसी समय सीमा में हमें Leterature Review भी करना है, data collection भी करना है, डाटा का analysis भी करना है। शोध का conclusion भी लिखना तो है।  इसलिए प्रभावशाली समय प्रबंधन हमें अनावश्यक समस्याओं और चुनौतियों से बचा सकता है।

सुपरवाइजर और सहयोगियों से संपर्क Continious Communication

रिसर्च में अपने शोध निर्देशक यानी  सुपरवाइजर से हमेशा राय-सलाह लेते रहना चाहिए। अपनी समस्याओं से उन्हें समय-समय पर अवगत कराते रहना चाहिए। और उसका समाधान पूछते रहना चाहिए। अपने सीनियर से, peer से  भी अपने रिसर्च के बारे में बताना चाहिए और उनसे भी सलाह लेते रहना चाहिए। सहपाठियों के साथ और शोध निर्देशन एवं अन्य प्रोफेसर के साथ समस्याओं को साझा करने से नए-नए विचार हमें प्राप्त होते हैं! जिससे समस्या का समाधान करने में मदद मिलती है। रिसर्च में सामूहिक प्रयास का बहुत महत्व होता है। यह जरूरी नहीं कि हम जो सोच रहे हैं हमेशा वही सही हो। दूसरे का विचार, दूसरे के सुझाव पर भी हमें चिंतन करना चाहिए। और यदि आवश्यकता हो तो उस पर अमल करना चाहिए। अधि‍क विद्वानों के साथ संपर्क में रहने से जो भी बातें हमें नहीं समझ में आती है, वह उनके सहायता से समझ में आ जाती है। Misunderstanding दूर हो जाता है। और एक supportive environment बना रहता है।

साहित्य समीक्षा  Literature Review

आप जिस भी विषय में रिसर्च कर रहे हैं। जिस टॉपिक पर रिसर्च कर रहे हैं। उससे संबंधित समस्याओं के बारे में आपको पहले से पूरी जानकारी होनी चाहिए। उस विषय से संबंधित जो भी समस्याएं रिसर्च के दौरान उत्‍पन्‍न होती हैं अगर उनका पूरा जानकारी रहेगा तभी आप उससे निपटने का उपाय सोच सकते हैं। जिस विषय में आप शोध कर रहे हैं उसे विषय से संबंधित Research Methodology की पुस्तकें पढ़नी चाहिए। इससे हमें समस्याओं की प्रकार और गहराई का मालूम चलता है। समस्याओं की बारीकियां का पता चलता है। साथ ही साथ, उसके कई प्रकार के समाधान का पता चलता है। हम अपने संसाधन और समय और अपनी क्षमता के अनुसार उन समाधानों पर विचार कर सकते हैं। उन्हें अपने रिसर्च में अपना सकते हैं।

तथ्य की गुणवत्ता का ध्यान Data Quality Assurance

रिसर्चर को प्रारंभ से ही विश्वसनीय स्रोतों से डाटा लेना चाहिए। उसकी quality और authencity के बारे में सदैव सजग रहना चाहिए। डाटा चयन करते समय उसकी विश्वसनीयता जांच करने की विधियां जरूर अपनाना चाहिए। डाटा का कई स्रोतों से उसकी विश्वसनीयता जांच करनी चाहिए। अगर कुछ विसंगतियां मिले तो अन्‍य डाटाबेस से भी उसे डाटा की विश्वसनीयता को जांच करना चाहिए। विश्वसनीय डाटा रिसर्च में प्रयोग करने से हम काफी हद तक समस्याओं और चुनौतियों को कम कर सकते हैं।

नैतिक जिम्मेवारियां Ethical Considerations

कई ऐसे रिसर्च होते हैं जिसमें डेटा संग्रह करने के लिए हमें यूनिवर्सिटी से या अन्य एजेंसी से परमिशन लेना पड़ता है। इस प्रकार के रिसर्च में हमें पहले से ही परमिशन ले लेना चाहिए। परमिशन लेने में सही तरीकों का प्रयोग करना चाहिए। अनुमतिलेने का गाइडलाइन क्या है? कैसे परमिशन लिया जाता है? इसके बारे में संपूर्ण जानकारी रखनी चाहिए। डाटा को कैसे सुरक्षित रखें? इसके बारे में भी हमें जानकारी होनी चाहिए। जिस रिसर्च में लोगों का भी सहभागिता होता है वैसे रिसर्च में उनकी व्यक्तिगत जानकारियां को गोपनीय रखने की भी एक चुनौती होती है। इसके बारे में भी हमें सम्‍पूर्ण जानकारी पहले से ही प्राप्त करनी चाहिए। रिसर्च में भाग लेने वाले व्यक्तियों की कौन सी जानकारी हम रिसर्च पेपर या थेसीस में सेयर कर सकते हैं और कौन सी जानकारी हमें गोपनीय रखनी चाहिए। उनकी जानकारी गोपनीय कहां? रखें कैसे रखें? इसका भी हमें पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। ऐसा करने से हमें किसी भी प्रकार के अनावश्यक परेशानी एवं समस्याओं से बचा जा सकता है।

विषय के लोगों से जान पहचान Collaboration and Networking

रिसर्च में नेटवर्किंग का बहुत महत्व होता है। अपने फील्ड से संबंधित अधिक से अधिक विद्वानों रिसर्चर से संपर्क रहने पर हम अपनी समस्याओं को उनसे सजा कर सकते हैं। जब अधिक लोगों से समस्‍याओं को साझा करेंगे तो हमें उस समस्या का अधिक संख्‍या में समाधान मिलेगा। इससे भी समस्याओं को कम समय में सुगमता से हल करने में मदद मिलता है।

विद्वानों की राय लेना Seeking Experts Help

जब हम रिसर्च में डाटा कलेक्शन से संबंधित, research questions से संबंधित, चैप्टर राइटिंग से संबंधित, डाटा एनालिसिस से संबंधित समस्‍याओं से घिर जाते हैं,  कौन से मेथड का प्रयोग किस चरण में होगा, कब होगा इत्‍यादि समस्याओं से घिर जाते हैं। तो हमें विद्वानों की राय लेनी चाहिए। क्योंकि रिसर्च एक ऐसा क्षेत्र है जहां कदम कदम पर समस्याएं और चुनौतियां होती हैं। एक समस्या को हल करने पर दो और नई समस्या खड़ी हो जाती है। ऐसी स्थिति में विद्वानों के साथ रिसर्चचर के साथ संपर्क में रहने पर हमेंउन समस्याओं का आसानी से समाधान करने में मदद मिल सकता है। ऐसा करने से हम सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहते हैं। समस्या अगर अधिक दिन तक हल नहीं हुआ तो नकारात्मकता यान‍ि negativity हमारे कार्य क्षमता को प्रभावित करने लगता है। इसीलिए विद्वानों का सलाह लेते रहना चाहिए।

नए तरीके का प्रयोग Iterative Approach

रिसर्च में हमेशा नए-नए प्रयोग करते रहने चाहिए। रिसर्च करने के नए-नए तरीके सीखने रहने चाहिए। अपना Skill Development करते रहना चाहिए। विद्वानों से जो भी सलाह मिले, सुझाव मिले उसे प्रयोग में लाने पर भी विचार करना चाहिए। नए-नए तरीके प्रयोग में लाने से हमें सीखने को बहुत कुछ मिलता है। और समस्याओं को समझने में नए-नए दृष्टिकोण पैदा होते हैं। इसीलिए रिसर्च में नयापन लाने की कोशिश करनी चाहिए।

इस प्रकार से एक सही रणनीति, विद्वानों का सहयोग, उनसे लगातार संपर्क में रहने से, उनके द्वारा दिए गए सुझाव को अपनाने से, अपना कौशल विकास करने से, हम रिसर्च में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों को न सिर्फ कम कर सकते हैं बल्कि उसका सफलतापूर्वक समाधान भी निकाल सकते हैं।

Pic Credit: Photo by Olav Ahrens Røtne on Unsplash

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *