
हर समय टोका-टोकी।। Micromanaging
सुपरवाइजर को रिसर्च के दौरान रिसर्चर के कार्यों में हमेशा टोका-टोकी नहीं करनी चाहिए। नए स्टेप लेने, न्यू स्किल डेवलप करने, नए मेथड से डाटा कलेक्शन करने, डाटा को नए मेथड से समीक्षा करने में रिसर्चर को स्वतंत्रता देनी चाहिए। रिसर्च प्रोसेस के प्रत्येक चरण का पूर्ण नियंत्रण सुपरवाइजर को नहीं करना चाहिए। सुपरवाइजर को रिसर्च में अधिक से अधिक स्वतंत्रता देनी चाहिए। जिससे कि रिसर्च करने के दौरान रिसर्चर अधिक से अधिक सीख सके। उसमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो।
रिसर्चर से न के बराबर बातचीत ।। Ignoring Communication
सुपरवाइजर को निरंतर रिसर्च में हो रहे डेवलपमेंट की जानकारी लेती रहनी चाहिए। जानकारी लेना बंद कर देने से रिसर्च कार्य पूरी तरीका से उद्देश्यहीन और लक्ष्यहीन हो जाता है। अपने रिसर्च को एक रिसर्चर कैसे कर रहा है? क्या नया कर रहा है? इसकी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर शोध कार्य बाधित होता है। रिसर्चर से संपर्क में नहीं रहने पर रिसर्च में आ रहे कठिनाइयों और परेशानियों का समाधान समय पर नहीं होता है। इससे रिसर्च कार्य में देरी होने लगता है।
असंभव-सा लक्ष्य निर्धारित करना।। Setting Unrealistic Expectations
सुपरवाइजर को डाटा कलेक्शन, रिसर्च कार्य को जल्दी करने, या थीसिस लिखने, चैप्टर लिखने संबंधित ऐसा लक्ष्य नहीं निर्धारित करना चाहिए जिससे कि रिसर्चर तनाव में रहे। चिंतित रहे। परेशान रहे। प्रेशर महसूस करे। इस प्रकार की स्थिति में रिसर्चर का मन रिसर्च कार्य से ऊब जाता है। रिसर्च उसे बोझिल लगने लगता है।
जीवन-कार्य संतुलन जरअंदाज करना।। Disregarding Work-Life Balance
अगर सुपरवाइजर रिसर्चर के वर्क-लाइफ को संतुलितकरने में मदद नहीं कर पता है। रिसर्चर का पूरा का पूरा समय अपने रिसर्च में ही लग जाता है। उसके परिवार या व्यक्तिगत जीवन के लिए समय नहीं बच पाता है। तो वह उब जाता है। इसका बहुत ही नकारात्मक प्रभाव रिसर्चर के सोचने की क्षमता और रचनात्मक क्षमता पर पड़ता है। इससे उसका मेंटल हेल्थ और प्रोडक्टिविटी दोनों बहुत प्रभावित होता है। इसीलिए रिसर्चर का जीवन-कार्य संतुलन बनाए रखने में सुपरवाइजर को मदद करनी चाहिए।
अनावश्यक बाधा उत्पन्न करना।। Withholding Resources
सुपरवाइजर को रिसर्चर के लिए अनावश्यक बाधा उत्पन्न नहीं करना चाहिए। जैसे कि Fellowship लेने में परेशानी उत्पन्न करना, रिसर्च से संबंधित पुस्तक को लाइब्रेरी में मंगवाने में आनाकानी करना, देरी करना। कहीं पर कॉन्फ्रेंस, सेमिनार में भाग लेने जाने के लिए अनुमति नहीं देना। इस प्रकार के कार्य सुपरवाइजर को कभी नहीं करनी चाहिए।
नैतिक जिम्मेवारियों न लेना।। Ignoring Ethical Concerns
रिसर्च कार्य में नैतिक जिम्मेवारियां जैसे कि जिस रिसर्च में जानवर या मनुष्य शामिल हैं। तो इसके लिए संबंधित विभाग या समिति से अनुमति लेना चाहिए। या अगर किसी दूसरे विद्वान के शोध कार्य से कोई विचारलेने पर उसका नाम और पुस्तक का नाम आदि अपने शोध कार्य में उल्लेखित करनाा। रिसर्च कार्य में जिस भी चरण में, जहां पर भी नैतिक जिम्मेवारियां की बात आये। वह गंभीरता से पूरी हो इसका ख्याल सुपरवाइजर को रखना चाहिए। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
टीमवर्क उत्साह को अनदेखा करना।। Undermining Team Collaboration
रिसर्च में टीमवर्क का बहुत महत्व होता है। सुपरवाइजर को चाहिए कि एक ऐसा माहौल बनाए जिससे कि उसके निर्देशन में जितने भी रिसर्चर कार्य कर रहे हैं। वे सभी एक टीम के तरह कार्य करें। एक दूसरे का सहयोग करें। ऐसा करने से रिसर्च कार्य आनंददायक हो जाता है और उसका परिणाम बहुत ही गुणवत्ता पूर्ण होता है।
प्रोत्साहन नहीं देना।। Lack of Recognition
अगर सुपरवाइजर रिसर्चर के द्वारा किए गए नए कार्य या प्रयासों को बढ़ावा नहीं देता है। उसका मनोबल नहीं बढ़ता है। नए कार्य करने पर या कुछ नया सोचने पर उसे प्रोत्साहित नहीं करता है। तो इससे रिसर्चर के मन में डिसेटिस्फेक्शन यानि कुंठा का भाव भरा जाता है। रिसर्चर नेगेटिविटी से गिर जाता है। इससे उसके रिसर्च कार्य, कौशल विकास एवं चिंतनक्षमना पर बुरा असर पड़ता है। इसीलिए सुपरवाइजर को अपने रिसर्चर के कार्यों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए।
कौशल विकास पर ध्यान नहीं देना।। Overlooking Professional Development
रिसर्चर के कौशल विकास हो, रिसर्च कार्य के लिए आवश्यक सभी स्किल रिसर्चर समय-समय पर सीखते रहे। इसकी जिम्मेदारी सुपरवाइजर की भी होती है। रिसर्च के लिए आवश्यक स्किल डेवलपमेंट नहीं कर पाने के कारण रिसर्च कार्य किए गुणवत्ता गिर जाती है। बिना स्किल के रिसर्चर एकेडमिक्स में अपना करियर बनाने में असफल हो जाता है। इसीलिए सुपरवाइजर को चाहिए कि वह रिसर्चर को हमेशा न्यू स्किल डेवलपमेंट करने पर जोर दे।
आपसी मतभेद को दूर करने में असफल।। Avoiding Conflict Resolution
एक सुपरवाइजर के निर्देशन में बहुत से रिसर्चर कार्य करते हैं। उन सभी के बीच मित्रवत व्यवहार हो। इसका ध्यान सुपरवाइजर को रखना चाहिए। अगर उनमें कोई मतभेद है। तो उसे जल्द से जल्द सुलझाने के लिए सुपरवाइजर को कोशिश करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर एक दूसरे से सहायता लेने या सहायता देने काम रुक जाता है। इसका सीधा प्रभाव रिसर्च की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसीलिए सुपरवाइजर को प्रभावी ढंग से मतभेदों को जल्द से जल्द खत्म करना चाहिए।
एक ही ढ़र्रे पर सोचते रहना।। Being Closed-Minded
सुपरवाइजर को सिर्फ अपने ही विषय से संबंधित ही रिसर्चर अध्ययन करें इस पर जोर नहीं देना चाहिए। उसे रिसर्चर को अधिक से अधिक विषय पढ़ने, रिसर्च टॉपिक से संबंधित अन्य सभी विषयों का भी अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। रिसर्चर के नए विचारों को सीधे से खारिज नहीं करना चाहिए। किसी समस्या के समाधान के लिए अगर रिसर्चर कोई दूसरा उपाय सूझा रहा है तो उसे पर भी विचार करना चाहिए। सुपरवाइजर को स्वीकार करना चाहिए। सुपरवाइजर को ओपन माइंडेड होना चाहिए। यही रिसर्च में नए खोज का आधार बनते हैं। और क्रिएटिविटी को बढ़ावा मिलता है।
एक सुपरवाइजर को इस ब्लॉग में बताएं गए 11 नकारात्मक बातों को अपने जीवन में कभी नहीं अपनाना चाहिए। इससे सुपरवाइजर की क्रिएटिविटी पर बुरा प्रभाव तो पड़ता ही है, रिसर्चर का करियर भी बर्बाद हो जाता है। ऐसे सुपरवाइजर के साथ रिसर्च करके दौरान रिसर्चर कुछ नया नहीं सीख पाता है। उसे नए डिसीजन लेने का हिम्मत नहीं आ पाता है। इसीलिए एक सुपरवाइजर को इन 11बातों को जल्द से जल्द छोड़ देना चाहिए।
Pic credit: Unsplash