शोध प्रश्‍न।। Research Questions

शोध प्रश्‍न क्‍या है? What is Research Question

शोध प्रश्‍न को अंग्रेजी में Research Question कहते हैं। ये सामान्‍य प्रश्‍न से बिल्‍कुल अलग होता है। क्‍योंकि सामान्‍य प्रश्‍न सामान्‍य बुद्धि पर आधारित होते हैं। अत: इनका उत्तर देने में सामान्‍य लोग भी सक्षम होते हैं। इन प्रश्‍नों को थोडी-सी चिंतन शक्ति का प्रयोग करके उत्तर दिया जा सकता है।

शोध प्रश्‍न शोध कार्य का आधार होते हैं।

परिभाषा Definition of Research Question

प्रश्‍न शोध ही शोध को ही परिभाषित करते हैं। काफी हद तक ये शोध उद्देश्यों को भी बताते हैं। शोध की पुरी प्रक्रिया को तय करने में शोध प्रश्‍नों की बहुत बड़ी भूमिका होती है। ये सामान्‍य प्रश्‍नों की कोटि में इसलिए नहीं आते हैं कि इनका उत्तर देने में एक शोधार्थी (researcher) या वैज्ञानिक (scientist) ही सक्षम होता है। वह इन शोध प्रश्‍नों का उत्तर देने के लिए प्रशिक्षण (Pre Ph.D. Course Work) प्राप्‍त करता है। इसके उत्तर देने के लिए ही शोध करना पड़ता है। पहले तो कुछ महीने या कभी-कभी तो कुछ वर्ष लग जाते हैं शोध प्रश्‍न को ढ़ूढ़ने में। कई महीनों के कडी मेहनत से साहित्‍य समीक्षा करने पर शोध प्रश्‍न खोज पाते हैं शोधार्थी बन्‍धु। कुछ वर्ष का समय लगता है डाटा संग्रह (data collection) करने में। तत्‍पश्‍चात उन डाटा की कोडिंग करने में भी महीनों का समय लगता है। फिर उनका वर्गीकरण (classification) किया जाता है। जैसे कि कौन से डाटा किस शोध प्रश्‍न से जुडा है या किस शोध प्रश्‍न का उत्तर देने में मददगार है। फिर डाटा का समीक्षा व मूल्‍यांकन करने पर ही शोध प्रश्‍नों का सही-सही उत्तर दिया जाता है।

अनुसंधान प्रश्‍न Research Questions

शोध प्रश्‍न को ही अनुसंधान प्रश्‍न या शोध समस्‍या (research problem) भी कहते हैं।

शोध प्रश्‍न डाटा संग्रह करने वाले प्रश्‍नों (Data Collection Questions) से भी अलग होते हैं। किसी विषय पर शोध करने के लिए कई बार लोगों का मत/विचार लेना पड़ता है। विचारों के वैज्ञानिक विधि से संग्रह के लिए, जिसमें कोई त्रुटि न, हो कुछ प्रश्‍न बनाए जाते हैं। ऐसे प्रश्‍न हमारे मोबाइल पर या तो यूट्यूब या गुगल के द्वारा भेजा जाता है। ये कंपनियां जो विज्ञापन भेजते हैं वे हमारे काम के होते हैं या नहीं। या कितने काम के होते हैं? इस बात को जानने कि लिए डाटा संग्रह प्रश्‍न बनाते हैं। जैसे कि क्‍या आप YouTube पर दिखाये जा रहे विज्ञापन से संतुष्‍ट है? आपको जो विज्ञापन दिखाया जाता है वह आपके कितना काम का है? आदि आदि। इस प्रकार के प्रश्‍न शोध प्रश्‍न से भिन्‍न होते हैं।

निर्माण विधि Formation Methods of Research Questions  

इनका निर्माण करते समय इस बात का ध्‍यान रखा जाता है कि ये कम से कम शब्‍दों में स्‍पष्‍ट रूप से शोध को बताएं। शोध कार्य के लिए शोध विषय का एक विशेषज्ञ का चयन करना पडता है जिसे शोध मार्गदर्शक (guide/supervisor) कहते हैं। मार्गदर्शक के दिशानिर्देशन में शोधार्थी इनका निर्माण करने के पश्‍चात कुछ अन्‍य विद्वानों से भी राय लेता है। इनकी स्‍पष्‍टता जांची जाती है। तदनोपरांत, कुछ सामान्‍य लोगों को दिया जाता है कि वे इन्‍हें पढ़कर क्‍या समझ रहे हैं। क्‍या अर्थ लगा रहे हैं? क्‍या वे वहीं समझ पा रहे हैं, जिन बातों के बारे में शोधार्थी जानना चाहते हैं। इनमें कहां कमी आ रहीं है। कमी का पता लगाकर उसमें सुधार किया जाता है। इस प्रकार से इन्‍हें तब तक सुधारा जाता है जब तक कि इन्‍हें पढ़ने पर शोध प्रक्रिया में भाग लेने वाले लोग वहीं अर्थ नहीं लगा लेते जो शोधार्थी लगा रहे हैं। तभी इन प्रश्‍नों से उन आंकडों का संग्रह किया जा सकता है जिन्‍हें शोधार्थी जानना चाहता है।

अत: शोध प्रश्‍न बनाने की प्रक्रिया बहुत चरणों से होकर गुजरती है। बहुत बार इनका परीक्षण किया जाता है। कमियों को बार-बार सुधारा जाता है। सभी प्रकार से संतुष्‍ट हो जाने पर ही इन्‍हें जिनसे शोध कार्य के लिए जानकारी लेनी है उनके पास भेजा जाता है या दिया जाता है।

इन्‍हें बनाने में शोधार्थी की रुची सबसे महत्‍वपूर्ण होती है। अपनी रुची के विषय को ही शोधार्थी जानना चाहता है। उस विषय से संबंधित पुस्‍तकें पढ़ता है। जिससे विषय के उन पहलुओं को जान पाता है जिन पर कम शोध हुए हैं। तभी उन कम अध्‍ययन के विषयों में से एक का चयन करता है अपने शोध कार्य के लिए। इसके बाद उस चयनित विषय पर ही शोधार्थी शोध प्रश्‍न बनाता है।

शोध प्रश्‍न का निर्धारण।। (Finalising Research Questions)

शोध प्रश्‍न का निर्धारण करते समय शोध कार्य के लिए आबंटित समय, संसाधन और धन की उपलब्‍धता को भी ध्‍यान में रखा जाता है। इसके साथ ही चयनित विषय की सीमा को भी निर्धारित कर दिया जाता है। जिसे शोध सीमांकन (delimitation) कहते हैं।

शोध प्रश्‍न के गुण।। (Characteristics of Research Questions)

शोध प्रश्‍न सरल से सरल शब्‍दों में होना चाहिए। सबकी समझ में आ सके ऐसी भाषा में   होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। जिससे शोध कार्य की गुणवत्ता पर बहुत ही प्रतिकुल प्रभाव पडता है।

शोध प्रश्‍न के प्रकार।। Types of Research Questions

शोध प्रश्‍न ही शोध डिजाइन (Research Design) को भी तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। शोध डिजाइन गुणात्‍मक (Qualitative) होगा या मात्रात्‍मक (Quantitative) होगा या मित्रित (mixed method) होगा इस बात का निर्धारण शोध प्रश्‍न से ही होता है। शोध प्रश्‍न अगर किसी साहित्‍य से जुडा हो या उनका उत्तर देने में जिस विषय की समीक्षा करनी है उसका सिर्फ लिखित साक्ष्‍य की आवश्‍यकता है तो ऐसे शोध प्रश्‍न गुणात्मक कहलाते हैं। अगर इनके उत्तर के लिए गणितीय आंकडों की जरुरत है तो वैसे शोध प्रश्‍न मात्रात्‍मक कहलाते हैं। कुछ प्रश्‍न ऐसे होते हैं जिनके उत्तर देने में इन दानों तरह के आंकडों की जरूरत पड़ती है तो ऐसे शोध प्रश्‍न को मित्रित शोध प्रश्‍न कहा जाता है।

शोध प्रश्‍न के उद्देश्‍य।। Objective of Research Questions  

शोध प्रबन्‍ध या थीसिस (Thesis) में चयनित शोध प्रश्‍न का मूल उद्देश्‍य होता है — पुरी शोध प्रक्रिया को दिशा देना। शोध की समाप्ति के उपरांत क्‍या प्राप्‍त होगा, इस बात की जानकारी देना। शोध उद्देश्‍य में कुछ बिन्‍दु होते हैं जो यह बताते हैं कि इस शोध से इन इन उद्देश्‍यों की प्राप्ति होगी। उद्देश्‍यों के आधार पर ही फंडिंग एजेसियां (funding agencies) शोध कार्य पर पैसा लगाती हैं। शोध कर्ताओं से कुछ करार कराती हैं। शोध की परिणाम के आधार पर वे निर्णय लेती हैं। और इन परिणामों को मेटा-विश्‍लेषण (meta-analysis) के लिए भी रखती हैं।

शोध प्रश्‍न का चयन।। Selection of Research Questions

शोध प्रश्‍न का निर्माण कई चरणों में होता है जैसा कि उपर बताया जा चुका है। इनका मूल आधार है वह विचार जो कई महीनों या वर्षों के साहित्‍य समीक्षा के उपरांत पैदा होता है। उस विचार से कई प्रकार के शोध प्रश्‍न पैदा होते हैं। अब शोधार्थी उन प्रश्‍नों में से अपनी शोध कौशल के आधार पर जिस शोध प्रश्‍नों का उत्तर देने में सक्षम है उनका चयन करता है। इस चयन प्रक्रिया में जिस संस्‍थान से या विश्‍वविद्यालय से शोध कार्य होना है  वहां पर उपलब्‍ध संसाधन,  मार्गदर्शक की उपलब्‍धता व शोधवृत्ति का भी बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है।

शोध प्रश्‍न उदाहरण।। Examples of Research Questions

क्‍या ए आई (AI) मानव के स्‍तित्‍व पर संकट पैदा कर देगा?

क्‍या ए आई (AI) मानव को एक बेकार पशु की तरह बना देगा?

क्‍या भारत की ज्ञान परंपराएं भी ए आई (AI) के कारण निरर्थक हो जाऐगी?

जब ए आई (AI) इनती नौकरियों पर संकट पैदा कर रहा है तो इनती बड़ी मानव आबादी क्‍या करेगी?

क्‍या ए आई (AI) के कारण सम्‍पूर्ण ब्राह्मांड पर कुछ ही लोगों का शासन होगा?

शोध परिकल्‍पना।। Research Hypothesis  

शोध परिकल्‍पना की जरुरत प्राथमिक अनुसंधान या मौलिक अनुसंधान (Original Research) करने के लिए होता है। शोध प्रश्‍न का उत्तर देने के लिए ही शोध परिकल्‍पना की जरुरत होती है। ये परिकल्‍पान मूल रूप से शोध प्रश्‍नों का ही उत्तर होते हैं बिना शोध किए। या शोध कार्य समाप्‍ति पूर्व शोध प्रश्‍नों का उत्तर जो कि तार्किक बुद्धि पर आधारित हो और उसे शोध प्रक्रिया में डाटा संग्रह करने के उपरांत सही या गलत घोषित किया जाता है। अंत: शोध प्रश्‍नों का काल्‍पनिक उत्तर को ही शोध परिकल्‍पना कहते हैं।

शोध में कभी भी शोध परिकल्‍पानओं को साबित करने की कोशिश नहीं की जाती है। इन्‍की सत्‍यता की जांच की जाती है प्राप्‍त आंकडों के आधार पर।

शोध कार्य के अंत में यह जांच के बाद यह पता चलता है कि ये परिकल्‍पनाएं सही हैं या गलत।

शोध परिकल्‍पना को साबित करने का अर्थ यह होता है कि उन्‍हें सही मान लिया गया और उनको सही साबित करने के लिए उनके मुताबिक डाटा का चयन किया जाएगा। अगर हम शोध परिकल्‍पना को सही साबित करना चाहते हैं जो भी डाटा उसे गतल साबित करेंगी हम उन्‍हें शोध में शामिल ही नहीं करेंगे। परन्‍तु ऐसा करना शोध कि मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है। शोध में निष्‍कर्ष प्राप्‍त आंकडों के आधार पर निकाला जाता है। ऐसा नहीं कि पहले निष्‍कर्ष निकाल लिए और उसे साबित करने के लिए आंकडा जुटा रहे हैं।

इस प्रकार परिकल्‍पना की जांच और परिकल्‍पना को साबित करना दो अलग अलग बातें हैं।

शोध में परिकल्‍पना की जांच करते हैं प्राप्‍त आंकडों के आधार पर। उनको साबित करने की कोशिश कभी नहीं किया जाता है और नहीं किया जाना चाहिए।

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