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कैसे जल्दी से पता लगायें कि कोई पुस्तक या शोध पत्र आपके काम का है या नहीं? कैसे पता लगाएं कि यह मेरे किस अध्याय को लिखने में सहायक है? सैंकडों पृष्ठ का पुस्तक पढ़ने से घबराते हैं? मन पसंद की पुस्तक चयन कैसे करें बिना किसी से पुछे?
अगर आप भी इन सभी प्रश्नों से जुझते हैं और सही उत्तर जानना चाहते हैं तो यह blog सिर्फ आपके लिए है।
इन सभी प्रश्नों का उत्तर एक ही है – विषय परिचय
कैसे? इसे विस्तार से जानते हैं।
इस blog में मैं आपको ‘विषय प्रवेश’ (introduction) का सामान्य परियच और महत्त्व को बताते हुए इसके पढ़ने के लाभ भी बता रहा हूं।
विषय प्रवेश किसी पुस्तक या थीसिस का एक भाग है। प्रथम भाग है। प्रवेश द्वार है। यह अध्ययन या लेखन के चययित विषय का समग्र जानकारी संक्षेप में प्रदान कराता है। विषय के महत्व को प्रकाशित करता है। वर्तमान समय में इस विषय को क्यों चयन किया गया? इस बात को यहां तथ्य और तर्क के साथ बताया जाता है। वर्तमान समय में इस विषय की उपयोगिता क्या है? यह विषय आज के दौर में कितना प्रासांगिक है? आदि। विषय संबंधित भांती-भांती पहलुओं पर चर्चा करता है।
पुस्तक विषय प्रवेश और थीसिस विषय।। Book introduction and Thesis introduction
दोनों में थोड़ा अन्तर होता है। थीसिस में किस विधि से इस शोध को किया गया है इस बात का भी उल्लेख रहता है। शोध की सीमाएं क्या है? इस पहलु पर भी जानकारी होती है। प्रमुख शब्दावलियों का भी वर्णन होता है तथा इस शोध में वे किस अर्थ में प्रयुक्त हुए हैं इस बात का भी जिक्र होता है। इसके साथ-साथ, प्रत्येक अध्याय का सामान्य परिचय होता है। उसमें वर्णित विषय व मुख्य बिन्दुओं का वर्णन होता है। शोध प्रश्न का उल्लेख होता है जो कि शोध की प्राण होते हैं। बिना शोध प्रश्न के शोध की कल्पना तक नहीं की जा सकती। शोध उद्देश्य का भी उल्लेख होता है। इससे यह पता लगाने में आसानी होती है कि इससे किसको लाभ मिलेगा और इसका प्रभाव कितना होगा। इसमें साहित्य समीक्षा भी प्रस्तुत किया जाता है जो शोध का आधार होता है, और जो शोध प्रश्न का भी आधार होता है। विषय प्रवेश का एक और महत्वपूर्ण अंग है- साहित्य समीक्षा। इसमें चयनित विषय पर प्रमुखता से विचार रखने वाले विद्वान कौन-कौन है, इस बात का पता चल जाता है। इस विषय से संबंधित कितने मतभेद हैं और उन पर विद्वानों का क्या राय है। प्रचलित सिद्धांत कौन-कौन से हैं। इस विषय पर लिखी गई महत्वपूर्ण पुस्तकें कौन कौन सी हैं इत्यादि तमाम जानकारी विषय प्रवेश के साहित्य समीक्षा से मिल जाता है।
विषय प्रवेश पाठकों के लिए एक मार्गदर्शिका की भूमिका अदा करता है। इसको पढ़कर पाठक यह निर्णय लेता है कि इस पुस्तक या थीसिस को पुरा का पुरा पढ़ना चाहिए या नहीं। उसके काम का है या नहीं। विषय उसके रुची का है या नहीं।
विषय प्रवेश के प्रमुख बिन्दू
विषय प्रासांगिकता।। (Relevance)
शोध कार्य करने के लिए शोध प्रारूप (synopsis) college/university के विभाग की शोध समिति (DRC:Departmental Research Committee ) के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है। स्वीकृति लेनी पड़ती है। इसके लिए शोधार्थी यह बात तार्किकता से रखता है कि चयनित विषय पर शोध क्यों होनी चाहिए। यहां उस तथ्य और तर्क को भी रखा जाता है जिससे शोध विषय के प्रासांगिकता के बारे में पता चलता है।
शोध सीमांकन।। (Limitation of Research)
किसी भी विषय पर अनेक प्रकार से शोध कार्य किया जा सकता है। परन्तु, सीमित समय, सीमित संसाधन और सीमित खर्च में उन सभी विषयों पर शोध कार्य कर पाना असंभव है। अत: शोधार्थी अपनी पसंद की विषय के एक पक्ष को ही अध्ययन के लिए लेता है तथा शोध की सीमाओं को निर्धारित करता है। जिससे शोध का कुछ परिणाम निकल सके। इसके निर्धारण में कई घटकों का ध्यान रखा जाता है। शोध की सीमा निर्धारित करने का तरीका यह है कि शोध कार्य चयनित विषय के किस-किस पक्ष को अध्ययन में शामिल कर रहा है इस बात का विस्तार से उल्लेख किया गया हो। चयनित विषय के चयनित पक्ष ही शोध की सीमा है। इससे बाहर के पक्ष चाहे उस विषय से जुड़े ही क्यों न हो अध्ययन में शामिल नहीं किया जाता है।
विषय संदर्भ की सूचना।। Background Information
यह विषय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करता है जिससे विषय को समझना आसान हो जाता है। यह विषय वर्तमान समय में इनता महत्वपूर्ण क्यों है कि इस पर चर्चा होनी याहिए या शोध होनी चाहिए। इसका उत्तर भी दिया जाता है। शोधार्थी अपना तर्क रखता है कि इस विषय का चयन शोध के लिए क्यों किया गया। पूर्व के सभी शोध का जिक्र करते हुए उनमें कमियों को दर्शाया जाता है, उनमें प्रयुक्त सिद्धांतों के बारे में भी संक्षेप में बताया जाता है। और यह शोध कार्य उस विषय से संबंधित पूर्व के सभी शोध कार्यों से नया कैसे है? मौलिक कैसे है? इसे प्रमुखता से दर्शाया जाता है। और यह शोध पूर्व शोध की कमियों को कैसे दूर करता है? इस बात पर भी लेखक/शोधार्थी के विचार प्राप्त होता है।
शोध प्रश्न।। Problem Statement or Research Question
जिन शोध समस्याओं को शोध कार्य द्वारा समाधान किया गया है उन्हें शोध प्रश्न (research question) कहते हैं। यहाँ पर शोध प्रश्न का भी उल्लेख देख सकते हैं। इससे यह पता चलता है कि शोध विषय के किस पक्ष के बारे में और कितनी गहराई से बता रहा है। शोध प्रश्न के कुछ उदाहरण:
- प्रेमचंद के उपन्यास में हिन्दू धर्म का स्वरूप कैसा है?
- रामायण में वर्णित व्यक्ति निर्माण के तरीके कौन-कौन हैं?
शोध उद्देश्य।। Objective
शोध कार्य करने से किन उद्देश्यों की पूर्ति हो रहा है इसका भी बखान किया जाता है। समाज के किस वर्ग के लोग इस शोध से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे या प्रभावित होंगे इस बात का भी पता चल जाता है।
परिकल्पना।। Hypothesis
शोध प्रश्न का काल्पनिक उत्तर को शोध परिकल्पना (hypothesis) कहा जाता है। शोध कार्य पुरा होने से पहले ही शोधार्थी उन शोध प्रश्नों का काल्पनिक उत्तर देता है और शोध कार्यकाल में प्राप्त साक्ष्य के आाधार पर उन उत्तरों की जांच करता है ।
शोध प्रविधि।। (Research Methodology)
शोध करने में कई प्रकार की विधियों का प्रयोग होता है तब जाकर विश्वसनीय निष्कर्ष पर पहुचा जाता है। विषय परिचय में यह भी बताया जाता है कि आकडों को कैसे संग्रह किया गया? उन्हें कैसे छांटा गया? या विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया? आकडों की समीक्षा कैसे की गई?
शोध प्रविधि को पढ़कर यह पता लगाया जा सकता है कि इस शोध का निष्कर्ष कितना विश्वसनीय है।
अत: विषय प्रवेश किसी भी साहित्यिक रचना, चाहे कोई पुस्तक हो या थीसिस, का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है। यहां सम्पूर्ण विषय को संक्षेप में रखा जाता है। जो पुरे पुस्तक को भली भांति समझने में आधार का कार्य करता है।