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अगर आप पढ़ाई कर चुके हैं, शोध कर रहे हैं, कोई रिसर्च प्रोजेक्ट (research project) पर कार्य कर रहे हैं तो कभी न कभी आप यह जरुर अनुभव किये होंगे कि भारतीय उच्च शैक्षणिक संस्थान में कोई ऐसा तंत्र होनी चाहिए जो हर शोधार्थी की लेखन संबंधी समस्या को हल करे। सलाह दे। सही से मार्गदर्शन करे। आदि आदि।
इस blog में मैं एक ऐसे ही तंत्र और writing consultant के बारे में बता रहा हूं।
विदेश के लगभग हर विश्वविद्यालय में एक writing centre होता है। जो शोध छात्रों के लेखन संबंधी समस्या को हल करता है। जो लोग इस कार्य को करते हैं उसे writing consultantकहते हैं।
writing consultant एक प्रशिक्षित प्रशिक्षक होता है जो शोध छात्रों के लेखन संबंधित सभी कठिनाइयों का समाधान करता है। इनकी नियुक्ति शोध संस्थान करते हैं। जैसे भारतीय शिक्षण संस्थान में विभाग (department) होता है वैसे ही writing centre भी एक विभाग की तरह कार्य करता है जो लेखन कौशल विकास (writing skills development) संबंधी मामले को देखता है।
writing consultant मार्गदर्शन प्रदान (guidance) करते हैं सुझाव (feedback) देते हैं साथ ही साथ सलाह (suggestions) भी देते हैं।
एक शोधार्थी अपनी शोध को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करे, इनका कार्य सिर्फ इतना तक ही सीमित नहीं है। ये शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में एक अहम कड़ी का काम करते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले लेख का प्रकाशन कराने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शिक्षा जगत में विशेषकर शोध क्षेत्र (research field) में इनका योगदान उल्लेखनीय होता है। एक शोधार्थी शोध करके कुछ निष्कर्ष निकालता है परन्तु वह उस निष्कर्ष को प्रभावी ढ़ग से प्रस्तुत नहीं कर पाता है तो वह उसे अधिक से अधिक लोगों तक नहीं पहुंचा पाने के कारण उसका मेहनत का वह परिणाम नहीं मिलता है जो मिलना चाहिए। उसने मेहनत तो पुरा किया। उसे शोध करने में संसाधन भी लगा और समय तो लगा ही। इन सभी के बावजूद मनोवांछित परिणाम न मिले तो उस पर विचार तो करना ही चाहिए।
शोध विषय के सभी पहलुओं के लेखन संबंधी क्या क्या चुनौतियां हैं और उनका सही तरीके से समाधान कैसे किया जाए। इन सभी दृष्टिकोण से writing consultant का कठोर प्रशिक्षण होता है। ये लेखन की सभी बारिकियों को भली-भांति जानते हैं। लेखन संबंधित समस्याओं का समाधान करने के उपाय क्या हैं उनको भी जानते हैं। प्रशिक्षण के लिए सहायक सामग्री का डाटाबेस (database) भी जानते हैं।
writing consultant की जरुरत कॉलेज, विश्वविद्यालय और प्रकाशन कंपनियों में होती हैं। इनका कार्य शोधार्थी, विद्यार्थी और विद्वानों के बीच ही होता है। इस क्षेत्र में भी सम्मानित कैरियर की असिमित संभावनाएं हैं। अगर आप भी शोध लेखन कौशल के धनी हैं तो इन क्षेत्र में कार्य कर नाम और पैसा दानों कमा सकते हैं।
writing consultant का कार्य।। work of writing consultant
सुझाव देना (Feedback)
शोध पत्र लिखने में, थीसिस (thesis) लिखने में, शोध सारांश (research abstract), रिसर्च रिपोर्ट (research report), रिसर्च प्रोपोजल (research proposal) आदि लिखने में ये मदद करते हैं। लिखकर ले जाने पर उसे पढ़कर सुझाव देते हैं। उसकी गुणवत्ता को सुधारने में मदद करते हैं।
सुधार कराना (Revision)
शोध में पुस्तक, शोध प्रपत्र (research paper) या अन्य किसी भी प्रकार के शैक्षणिक दस्तावेज प्रकाशन में कई बार सुधार की जरुरत होती है। एक अनुमान के मुताबिक, एक विश्व स्तर के शोध पत्रिका में प्रकाशन के लिए दस से चौदह बार पुरा शोध पत्र को सुधारा जाता है। एक गुणवत्तापूर्ण वाक्य को लिखने के लिए तीन से पांच बार सुधार की जरुरत होती है। इस कार्य में writing consultant मदद करते हैं।
भाषा (Language)
प्रकाशित सामग्री की लेखन शैली सरल हो। उसकी भाषा भी पाठक के समझ में आने योग्य हो। अगर लेख के वांछित पाठक साधारण हैं तो भाषा का स्तर भी वैसी ही होगी। अगर वांछित पाठक विद्वान हैं तो भाषा की स्तर को बढ़ाना पढ़ेगा। पाठक के ग्राह्य भाषा का ध्यान भी writing consultant ही रखता है।
सुस्पष्टता (Clarity)
सरल, सुगम और सुबोध्य सामग्री का प्रकाशन सुनिश्चित करना इनका मूल कार्य है।
विचार तार्किकता के साथ लेख में प्रस्तुत हुए हैं या नहीं ये इस बात का भी विचार करते हैं। ऐसे शब्दों का प्रयोग हो जिससे वांछित पाठक (target audience) आसानी से समझ ले। यह एक बडी चुनौति है। writing consultant की भूमिका यही पर शुरु हो जाती है। उस शोध परिणाम को उन लोगों तक प्रभावी ढ़ंग से पहुचाना जिसे इसका लाभ मिलने वाला है- यही इनका कार्य है। और ये इस कार्य में माहीर होते हैं।
ढ़ाचा (Formatting)
लेखन कौशल से जुझ रहे विद्यार्थी या शोध छात्रों को उनकी लेखन कौशल को बढ़ाने में और communication skills बढ़ाने में ये उनकी मदद करते हैं। एक प्रभावी तरीके से अपनी शोध को उसके पाठकों तक कैसे पहुंचाया जाए इसकी प्रशिक्षण भी देते हैं।
संदर्भ (Referencing)
प्रकाशित होने जा रही सामग्री में संदर्भ ग्रन्थ, ऑथर का नाम व प्रकाशक का नाम के साथ प्रकाशन की तिथि भी प्रकाशक के दिशा निर्देशों के अनुसार है या नहीं इसकी भी जांच करने का काम writing consultant का होता है।
प्रशिक्षण (Training)
लेखन पूर्व क्या तैयारी करनी चाहिए? लेखन के लिए कम से कम क्या अर्हताएं (criteria) है? लेखक में क्या क्या गुण होने चाहिए? शोध प्रपत्र लिखने का सही तरीका क्या है? इस प्रकार के सभी प्रश्नों के उत्तर लिए writing consultant प्रशिक्षण देते हैं।
कार्यशाला (workshop)
इनके कार्य करने के कई तरीके होते हैं। कभी कभी ये कार्यशाला (workshop) के माध्यम से विषय दर विषय प्रशिक्षण प्रदान करते हैं तो कभी कभी छात्रों के व्यक्तिगत लेखन समस्या को सुनते हैं और उनको सहायता करते हैं। ये दोनों ही माध्यमों से छात्रों की लेखन कौशल का विकास करते हैं।
सम्पादन (Editing)
किसी ग्रन्थ का सम्पादन करते समय भी उसके विभिन्न स्वरूपों का निरिक्षण करते हैं। उसे और प्रभावी बनाने के तरीके बताते हैं। लेख के विभिन्न पहलुओं की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सलाह देते हैं।
त्रुटि जांच (Proof Reading)
लेख सामग्री के वर्तनी, शब्द चयन, वाक्य रचना, पाराग्राफ की तारतम्यता, स्पेलिंग की जांच करना, शीर्षक की जांच, फाँट की आकार की जांच करना आदि कार्य भी writing consultant का ही होता है।
व्यक्तिगत सहयोग (Personalized Assistance)
छात्र या शोध छात्र की लेखन संबंधी व्यक्तिगत समस्याओं पर भी ध्यान देते हैं तथा व्यक्तिगत स्तर पर सुलझाते हैं। किसी छात्र को उचीत शब्द चयन करने में परेशानी हो रही है तो इस समस्या के समाधान के लिए क्या क्या करना चाहिए। इसका भी जानकारी writing consultant ही देता है।
नैतिक मानदंड (Ethical Standard)
शोध कार्य करने में प्रत्येक स्तर पर नैतिकता का भी ख्याल रखा जाता है। शोध कार्य के जमा करने से पूर्व थीसिस (thesis) में उन सभी व्यक्तियों के नामों का उल्लेख होता है जो शोध कार्य में प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी न किसी प्रकार से मदद किया है। अगर कहीं से विचार लिये हैं या लेखन का कोई अंश लिये हैं तो उसे सही प्रकार से संदर्भ ग्रन्थ सूची (reference list) में उल्लेख करना चाहिए। Thesis या research paper में इस प्रकार की नैतिक मानदंड का ख्याल रखा गया है कि नहीं, इसका भी जांच करना writing consultant का ही काम है।
समय प्रबंधन (Time Management)
शोध कार्य समय पर पुरा हो इसके लिए एक योजना की आवश्यकता होती है। योजना को बनाने में writing consultant मदद करता है। योजना का क्रियान्वयन कराना और उसके क्रियान्वयन में आ रही परेशानी को दूर करना भी writing consultant का ही कार्य है।
उत्पादकता (Productivity)
किसी भी क्षेत्र में उत्पादकता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है। इसके लिए एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है जो उत्पादकता के सभी घटकों को अच्छे से जानता हो और उनसे संबंधित कहीं पर भी लापरवाही न हो इस पर ध्यान देते रहे। writing consultant इस प्रकार के कार्य में भी मदद करते हैं।
अगर आप किसी को मदद करके खुशी का अनुभव करते हैं और आपके पास है लेखन कौशल क्षमता है तो शोध छात्रों की मदद करने वाली writing consultant की दुनिया में आपका स्वागत है।